नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र को नीट-पीजी 2021-22 काउंसलिंग के मॉप-अप राउंड में बृहस्पतिवार तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) से उन मुद्दों पर पुनर्विचार करने को कहा, जिसमें 146 नई सीटें जोड़ने का फैसला भी शामिल है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ये 146 सीटें उम्मीदवारों के लिए पिछले दौर की काउंसलिंग में उपलब्ध नहीं थीं और उनके पास इन सीटों में भाग लेने का कोई अवसर नहीं था। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि ये सीटें उन छात्रों को आवंटित की गई हैं, जो पहले और दूसरे दौर की काउंसलिंग में सीटें आवंटित करने वालों की तुलना में मेरिट में पीछे रहे।
पीठ ने कहा कि यह उन पहलुओं में से एक है जिस पर डीजीएचएस को फिर से विचार करने की जरूरत है। शीर्ष अदालत राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा-परास्नातक (नीट-पीजी) 2021-22 काउंसलिंग के मॉप-अप राउंड में भाग लेने के लिए डॉक्टरों के एक समूह की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि दूसरा पहलू 16 मार्च के नोटिस के गैर-समान आवेदन के संबंध में है। एक याचिका में, याचिकाकर्ताओं ने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के 16 मार्च के नोटिस को चुनौती दी है, जो मॉप-अप राउंड काउंसलिंग में भाग लेने पर रोक लगाता है, अगर उम्मीदवार ने पहले ही राज्य कोटे में सीटें ले ली हैं।
पीठ ने कहा कि 16 मार्च के नोटिस के परिणामस्वरूप जिन उम्मीदवारों को राज्य कोटे में राउंड एक और दो में सीटें आवंटित की गई हैं, उन्हें अखिल भारतीय कोटे के लिए मॉप-अप काउंसलिंग में भाग लेने से रोका गया है।
पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया नोटिस का समान रूप से पालन नहीं किया गया है और इससे संदेह हो सकता है कि क्या मॉप-अप राउंड में अखिल भारतीय कोटे में सीटों का आवंटन उचित है। पीठ ने केंद्र से बृहस्पतिवार को इन मुद्दों पर जवाब देने और तब तक मॉप-अप राउंड काउंसलिंग में यथास्थिति बनाए रखने को कहा।
शीर्ष अदालत ने 28 मार्च को डीजीएचएस को नीट-पीजी 2021-22 काउंसलिंग के मॉप-अप राउंड में भाग लेने के लिए डॉक्टरों के एक समूह की कुछ याचिकाओं पर जवाब देने का निर्देश दिया था।
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा था कि डीजीएचएस द्वारा नई सीटों को लाने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं जो उनके लिए उपलब्ध नहीं थे और अब जो छात्र मेरिट में नीचे थे उन्हें बेहतर सीटें मिलेंगी।(भाषा)