सुप्रीम कोर्ट ने दी व्यवस्था, मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भी जमानत नियम है और जेल अपवाद
पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाए
Supreme Court's order in money laundering case: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज अवैध खनन से संबंधित मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी को राहत प्रदान करते हुए बुधवार को कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भी जमानत नियम है और जेल में रखना अपवाद है।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि अदालत का मानना है कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज मामलों में भी जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है। पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी की जमानत के लिए दोहरी शर्तें रखने वाली पीएमएलए की धारा 45 में भी सिद्धांत को इस तरह से नहीं लिखा गया कि स्वतंत्रता से वंचित करना नियम है।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार मामलों में 9 अगस्त के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा इससे वंचित किया जाना अपवाद है। पीठ ने कहा कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें इस सिद्धांत को खत्म नहीं करतीं।
पीठ ने प्रेम प्रकाश को जमानत दे दी जिसे निदेशालय ने सोरेन का करीबी सहयोगी बताया है और उस पर राज्य में अवैध खनन में शामिल होने का आरोप है। शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय के 22 मार्च के आदेश को खारिज कर दिया जिसमें उसे जमानत देने से इंकार कर दिया गया था। साथ ही न्यायालय ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta