नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत कठिन है और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की वार्षिक क्षमता 2000 दत्तक ग्रहण करने की है जो अब बढ़कर 4000 हो गई है। इस देश में 3 करोड़ बच्चे अनाथ हैं।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज से देश में बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए कदम उठाए जाने के अनुरोध संबंधी एक जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
पीठ ने कहा, हमारे जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने का कारण यह है कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बहुत कठिन है। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) की वार्षिक क्षमता 2000 दत्तक ग्रहण करने की है जो अब बढ़कर 4000 हो गई है। इस देश में तीन करोड़ बच्चे अनाथ हैं। प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है।
अदालत ने नटराज को जनहित याचिकाकर्ता द टेंपल ऑफ हीलिंग के सुझावों पर विचार करने और प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जवाब दाखिल करने को कहा। एएसजी ने कहा कि उन्हें गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की विश्वसनीयता के बारे में पता नहीं है और याचिका की एक प्रति उन्हें नहीं दी गई है।
पीठ ने एनजीओ की ओर से पेश पीयूष सक्सेना को याचिका की एक प्रति नटराज को देने के लिए कहा, ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सकें। न्यायालय ने मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध कर दिया।(भाषा)