EWS Reservation News यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद महत्वपूर्ण फैसला सोमवार को सुनाया है। अदालत ने इस 10 फीसदी आरक्षण को वैध करार दिया है। इसका मतलब यह है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है।
चीफ जस्टिस यूयू ललित और अपना फैसला पढ़ते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने ईडल्ब्यूएस आरक्षण को सही करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोटा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। चीफ जस्टिस और जस्टिस माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने EWS कोटे के पक्ष में अपनी राय दी।
उनके अलावा जस्टिस जेपी पारदीवाला ने भी गरीबों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को सही करार दिया। कुल मिलाकर 5 में से 3 जजों ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है। एक जज ने सरकार के खिलाफ अपना फैसला सुनाया है। जजों ने कहा है कि संसोधन न्याय के खिलाफ है।
बता दें कि सामान्य वर्ग के गरीब तबके को जनवरी 2019 में यह आरक्षण दिया गया था। आज इस पर यह फैसला आया है। सीजेआई की अध्यक्षता वाली बैंच ने सोमवार को यह फैसला सुनाया।
दरअसल, सरकारी नौकरी और हायर एजेकुशन में दिए गए इस 10 प्रतिशत रिजर्वेशन को असंवैधानिक बताने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 7 दिनों तक मामले को विस्तार से सुना और 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था। इसके बाद आज 7 नवंबर को फैसला सुनाने की बात कही गई थी। चीफ जस्टिस के अलावा बेंच के बाकी 4 सदस्य जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रविंद्र भाट, बेला एम त्रिवेदी और जमशेद बी. पारडीवाला हैं।
Edited By : Navin Rangiyal