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न्यायमूर्ति कर्णन को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, निजी रूप से पेश होने को कहा

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नई दिल्ली , बुधवार, 8 फ़रवरी 2017 (15:56 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक अभूतपूर्व आदेश में कलकत्ता उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश सीएस कर्णन को उसके सामने व्यक्तिगत रूप से पेश होने और यह बताने का आदेश दिया कि उनके खिलाफ अवमानना संबंधी कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जाए। न्यायालय ने उन्हें न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य करने से तत्काल रोक दिया है।
 
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली 7 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति सीएस कर्णन को नोटिस जारी किया जाए। इसका जवाब 13 फरवरी तक दिया जाए। 
 
न्यायमूर्ति सीएस कर्णन को वे न्यायिक या प्रशासनिक कार्य हाथ में लेने से तत्काल रोका जाएगा, जो उन्हें सौंपे गए हों। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल हैं।
 
पीठ ने कहा कि उन्हें उनके पास मौजूद सभी न्यायिक एवं प्रशासनिक फाइलें कलकत्ता उच्च न्यायालय के महापंजीयक को लौटाने का आदेश दिया जाता है। इसमें कहा गया है कि न्यायमूर्ति सीएस कर्णन कारण बताओ की आगामी तिथि पर व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे। 
 
इस बीच पीठ ने उच्चतम न्यायालय के पंजीयक को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि उसके आदेश की प्रति बुधवार को दिन में न्यायमूर्ति कर्णन को मिल जाए और उसने स्वत: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ अवमानना याचिका को 13 फरवरी को आगामी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। 
 
शुरुआत में अटॉर्नी जनरल (एजी) मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा कथित रूप से किए गए सार्वजनिक संवाद की प्रकृति का जिक्र किया और कहा कि वह न्याय प्रशासन व्यवस्था को बदनाम करने वाला और अपमानजनक है।
 
उन्होंने पीठ से अपील की कि वह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दे कि संबंधित न्यायाधीश को न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य करने से रोका जाए। अटॉर्नी जनरल ने संवैधानिक प्रावधानों का जिक्र किया और कहा कि न्यायालय मामले का न्यायिक संज्ञान ले सकता है और उसके पास ऐसा आदेश देने का अधिकार है।
 
उन्होंने कहा कि इस न्यायालय को न्याय के प्रशासन के मामले में उदाहरण पेश करना होगा। उच्चतम न्यायालय अवमानना के अधिकार क्षेत्र को प्रयोग करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से न्यायमूर्ति कर्णन को प्रशासनिक और न्यायिक कार्य नहीं सौंपने को कह सकता है। न्यायालय ने इस दलील पर ध्यान दिया और कहा कि यह पता लगाया जाना है कि न्यायमूर्ति कर्णन ने संवाद किया है या नहीं?
 
न्यायालय ने कहा कि हमें अधिक से अधिक सावधानी बरतनी होगी। उसने कहा कि हम उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ पहली बार कार्रवाई करेंगे और हमें ऐसा करते समय बहुत सावधानी बरतनी होगी ताकि आने वाले समय में यह प्रक्रिया मिसाल बन सके।
 
न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा लिखे गए कथित अपमानजनक पत्रों के आधार पर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की है। ये पत्र सीजेआई, प्रधानमंत्री एवं अन्य को संबोधित करते हुए लिखे गए हैं। न्यायमूर्ति कर्णन के कथित अवमानना करने वाले आचरण के लिए उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय से कलकत्ता उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया था। (भाषा)

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