Adani-Hindenburg Dispute : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) अडाणी-हिंडनबर्ग (Adani-Hindenburg) से जुड़े उस विवाद पर 12 मई को सुनवाई करेगा, जिसमें शीर्ष अदालत ने 2 मार्च को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) को शेयर मूल्यों में अडाणी समूह द्वारा 'हेरफेर' किए जाने और त्रुटिपूर्ण नियामकीय जानकारी देने के आरोपों की 2 दो महीनों में जांच करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय ने अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट आने पर अडाणी समूह की कंपनियों के बाजार मूल्य (पूंजीकरण) में 140 अरब डॉलर की गिरावट आने के बाद भारतीय निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक समिति भी गठित की थी।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए मामलों की सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
मीडिया में आई इन खबरों के मद्देनजर यह सुनवाई मायने रखती है कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली छह-सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंप दी है। समिति का गठन मौजूदा नियामक व्यवस्था का आकलन करने और प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए किया गया था।
हाल में बाजार नियामक सेबी ने शेयरों के मूल्यों में अडाणी समूह द्वारा हेरफेर किए जाने और उसकी नियामकीय रिपोर्ट में खामियों से जुड़े आरोपों की जांच पूरी करने के लिए छह महीने समय बढ़ाने की मांग की थी। सेबी ने शीर्ष न्यायालय में अपनी एक अर्जी में कहा है कि उसे वित्तीय अनियमितता या फर्जी लेनदेन से जुड़े संभावित उल्लंघनों का पता लगाने के लिए और छह महीने का वक्त चाहिए।
न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति सप्रे समिति को केंद्र और सेबी अध्यक्ष सहित अन्य सांविधिक एजेंसियों द्वारा सहायता मुहैया की जा रही है। न्यायालय ने 10 फरवरी को कहा था कि अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आने के बाद शेयर बाजार में अस्थिरता को लेकर भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा किए जाने की जरूरत है।
हाल में हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों के मूल्यों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि अडाणी समूह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसने सभी कानूनों का पालन किया है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)