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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाया

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नई दिल्ली , सोमवार, 2 जनवरी 2017 (11:31 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करने पर उनके पदों से बर्खास्त कर दिया।

 
बीसीसीआई को नए साल के दूसरे ही दिन उच्चतम न्यायालय ने यह बड़ा झटका दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि 18 जुलाई 2016 के आदेश को ठाकुर और शिर्के ने लागू नहीं किया इसलिए उन्हें बर्खास्त किया जा रहा है। न्यायालय ने जब यह फैसला सुनाया तो उससे कुछ ही किलोमीटर दूर ठाकुर अपने निवास पर मौजूद थे। 
 
अदालत ने साथ ही कहा कि बीसीसीआई के कामकाज को देखने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की समिति को 19 जनवरी को नियुक्त किया जाएगा। इस समिति का निर्णय न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम और फाली एस. नरीमन करेंगे। बीसीसीआई के सबसे वरिष्ठ उपाध्यक्ष को बोर्ड का अंतरिम अध्यक्ष चुना जाएगा, जो अधिकारियों के पैनल के निरीक्षण में काम करेंगे। 
 
ठाकुर ने तो फिलहाल इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं दी है लेकिन उच्चतम न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले पर जस्टिस आरएम लोढ़ा ने कहा कि यह तो होना ही था और अब यह हो चुका है। हमने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 3 रिपोर्ट जमा कराई थी लेकिन बीसीसीआई ने सिफारिशों को लागू करने की जरूरत नहीं समझी। न्यायालय ने साफ कर दिया है कि उनका 18 जुलाई का निर्णय अब लागू हो चुका है। उन्होंने साथ ही कहा कि यह खेल की जीत है, अधिकारी आते-जाते रहते हैं लेकिन अंतत: यह खेल के लिए है।
 
लंबे समय से बीसीसीआई और अदालत के बीच चल रही कानूनी लड़ाई के बाद सर्वोच्च अदालत ने अपना कड़ा फैसला सुनाते हुए यह भी साफ किया कि जो भी लोग सुधार की सिफारिशों को लागू करने में अड़चन पैदा करेंगे उन्हें भी बीसीसीआई से जाना होगा। 
 
ठाकुर को पद से हटाने के अलावा अदालत ने झूठी गवाही के संदर्भ में भी उन्हें अवमानना नोटिस जारी किया है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से लोढ़ा समिति की सिफारिशों को सरकारी हस्तक्षेप बताते हुए पत्र लिखने की मांग करने के मामले में नोटिस जारी किया गया है, हालांकि ठाकुर ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा था कि उन्होंने आईसीसी से इस तरह का पत्र लिखने के लिए कभी नहीं कहा। 
 
लेकिन आईसीसी के चेयरमैन और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने ही ठाकुर के दावे को गलत बताते हुए लोढ़ा समिति को एक पत्र लिखा था और दावा किया था ठाकुर ने आईसीसी से इस तरह के पत्र की मांग की थी, वहीं इससे 2 सप्ताह पहले भी अदालत ने सुनवाई में कहा था कि ठाकुर ने संभवत: अदालत से झूठ बोला है। 
 
उल्लेखनीय है कि जनवरी 2015 में सर्वोच्च अदालत ने लोढ़ा समिति को सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में गठित किया था जिसका उद्देश्य 2013 आईपीएल भ्रष्टाचार और सट्टेबाजी मामले में लिप्त अधिकारियों के लिए सजा तय करना और देश में क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था में ढांचागत सुधारों के लिए सिफारिशें सुझाना था। 
 
जनवरी 2016 में इस समिति ने बीसीसीआई में व्यापक स्तर पर सुधारों की जरूरत बताते हुए सुधारों की सिफारिशों के संदर्भ में अपनी रिपोर्ट बनाई और 18 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने अधिकतर सिफारिशों पर अपनी स्वीकृति दे दी। 
 
अदालत ने लोढ़ा समिति को ही बीसीसीआई में इन सिफारिशों को लागू करने के लिए निरीक्षण की जिम्मेदारी भी सौंपी थी लेकिन समिति द्वारा कई बार समयसीमा तय किए जाने के बावजूद बोर्ड ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
 
अदालत इस मामले पर 15 दिसंबर के बाद से पहली बार सुनवाई कर ली है। गत माह शीतकालीन अवकाश के कारण न्यायालय ने लोढ़ा समिति के बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों को पद से हटाने और पूर्व नौकरशाह जीके पिल्लै को बीसीसीआई के कामकाज देखने के लिए पर्यवेक्षक बनाए जाने की सलाह पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
 
बीसीसीआई के पिल्लै को पर्यवेक्षक बनाए जाने से इंकार के बाद अदालत ने बोर्ड से 23 दिसंबर तक 3 लोगों के नाम सुझाने के लिए कहा था, जो मौजूदा अधिकारियों की जगह ले सकते हैं। इस बीच बोर्ड सचिव शिर्के ने उन्हें पद से हटाए जाने को अधिक गंभीरता से नहीं लेते हुए कहा कि वे अदालत के इस निर्णय को लेकर बहुत चिंतित नहीं हैं।
 
उन्होंने कहा कि यदि मुझे हटा दिया गया है तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं वापस जाकर अपना काम करूंगा। लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने का काम मेरे अकेले के नियंत्रण में नहीं है। यह तो सदस्यों को निर्णय करना है। उन्होंने कई सिफारिशों को स्वीकार किया है। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है और अब नए अधिकारियों को आगे काम बढ़ाने देना चाहिए।
 
उच्चतम न्यायालय ने अपने अहम फैसले में कहा है कि अब बीसीसीआई के कामकाज को देखने के लिए अधिकारियों का एक पैनल बनाया जाएगा। बीसीसीआई के सबसे वरिष्ठ उपाध्यक्ष को अंतरिम अध्यक्ष और संयुक्त सचिव को सचिव बनाया जाएगा। बीसीसीआई के सभी पदाधिकारी और राज्य संघों को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए अपना लिखित जवाब भी देना होगा। (वार्ता)

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