- क्या सामने आएगा 'मौत के सत्संग' का सच?
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स्वयंभू परमात्मा भोले बाबा के भक्तों का दर्द
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बाबा के साथ प्रशासन भी सवालों के घेरे में
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बाबा पर नेताओं की आश्चर्यजनक चुप्पी
Hathras stampede case: 'जिसने साकार हरि परमात्मा का भजन किया होगा वह धनवान है, पदवान है। वर्तमान को तपस्या बना लो, आपके भविष्य का निर्माण हो जाएगा।' ये पंक्तियां नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरजपाल के प्रवचन की हैं, जिसके सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे ने कई परिवारों का वर्तमान और भविष्य दोनों ही बिगाड़कर रख दिया। यह ऐसी लापरवाही है, जिसके लिए न तो आयोजकों और न ही शासन-प्रशासन को माफ किया जा सकता है।
हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र स्थित फुलरई में हुए इस हादसे को लेकर अलग-अलग कारण सामने आ रहे हैं। कभी यह कहा गया कि उमस के चलते भगदड़ मची तो कभी भोले बाबा की चरण रज लेने की होड़ में भगदड़ मचने की बात सामने आई, यह भी कहा गया कि भोले बाबा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा अनुयायियों को धक्का मारने से फैली अफरा-तफरी तथा फिसलन भरी ढलान के कारण भगदड़ मची। कारण कुछ भी रहा हो, लेकिन 121 मौतों के दर्दनाक और कड़वे सच को झुठलाया नहीं जा सकता।
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क्या है बाबा के वकील का दावा : भोले बाबा के वकील एपी सिंह का दावा है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने साजिश रची। जब नारायण साकार हरि कार्यक्रम स्थल से चले गए, उनके वाहन चले गए, तो हमारे स्वयंसेवक और अनुयायी साजिश के कारण यह समझने में विफल रहे कि क्या हो रहा है। यह एक योजना के तहत हुआ था और इसकी जांच होनी चाहिए। इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगदड़ की घटना में साजिश की आशंका जाहिर करते हुए इसकी न्यायिक जांच कराने की घोषणा की है।
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इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित कर दिया है। इस आयोग को दो महीने में जांच पूरी करनी होगी। दूसरी ओर पुलिस ने मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वकील सिंह के बयान के मुताबिक सूरजपाल ने सामने आकर कहा है कि उसे लोगों की मौत का दुख है। साथ ही उसने अपने समर्थकों से पीड़ित लोगों की मदद करने को कहा है। लेकिन, लोगों को इस बात का इंतजार है कि इस हादसे की जड़ कथाकार नारायण साकार हरि को पुलिस कब अपने शिकंजे में लेती है।
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नेताओं की आश्चर्यजनक चुप्पी : इस आयोजन के बारे में कहा जा रहा है कि सिर्फ 80 हजार लोगों के लिए आयोजन की अनुमति ली गई थी, लेकिन यहां पहुंचने वाले अनुयायियों की संख्या करीब ढाई लाख थी। शुरुआती जांच में आयोजकों और पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार माना जा रहा है। सभी पार्टियों के नेता हादसे पर तो दुख प्रकट कर रहे हैं, लेकिन जब बाबा सूरजपाल की बात आती है, तो चुप्पी ओढ़ लेते हैं। सपा नेता रामगोपाल ने कहा कि हादसे तो हर जगह होते हैं। वहीं, उनके भतीजे और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव घटना पर दुख व्यक्त करते हैं, लेकिन जब बात बाबा की आती है तो चुप हो जाते हैं।
अखिलेश का आरोप है कि शासन-प्रशासन हादसे में अपनी नाकामी छुपाने के लिए, छोटी-मोटी गिरफ़्तारियां दिखाकर लोगों की मौत से अपना पल्ला झाड़ना चाहता है। उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन किसी खास मंशा से व्यर्थ में ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर रहा है, जो मूल आयोजन स्थल से दूर थे। ये गिरफ्तारियां स्वयं में एक षड्यंत्र है। योगी सरकार के मंत्री भी बाबा के खिलाफ मुंह नहीं खोल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने जरूर भोले बाबा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। ऐसा भी कहा जा रह है कि भोले बाबा का नाम पुलिस की एफआईआर में इसलिए नहीं आ सका, क्योंकि आयोजन की अनुमति उनके नाम से नहीं ली गई।
एक बाप का दर्द : दिल्ली में ड्रायवरी करने वाले सत्येंद्र यादव ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना होगी। मंगलवार सुबह अपने परिवार के सदस्यों के साथ सत्संग में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे थे। जैसे ही मैं अपनी मां के साथ अपने तीन पहिया वाहन के पास पहुंचा तो मेरी पत्नी की कॉल आई...उसने कहा- पिलुआ थाने आ जाओ, छोटा खत्म हो गया है। कोई कल्पना नहीं कर सकता उस मां की स्थिति के बारे में जो अपने पति को अपने बेटे की मौत की खबर दे रही हो। उसका कलेजा बाहर नहीं आ गया होगा। ये सिर्फ एक कहानी है, ऐसी कई कहानियां होंगी, जिनमें किसी महिला की मांग का सिंदूर उजड़ गया होगा तो किसी मां की कोख सूनी हो गई होगी। किसी के सिर से बाप का साया हमेशा के लिए छिन गया होगा।
बाबा की चौंकाने वाली कहानी : एक पुलिस कांस्टेबल से भोले बाबा और फिर परमात्मा बनने की कहानी काफी चौंकाने वाली है। बाबा के खिलाफ कासगंज, फर्रुखाबाद, आगरा और राजस्थान में 5 मामले दर्ज हैं। 1997 में उस पर यौन शोषण का भी आरोप लग चुका है। 1999 में उसको नौकरी से निकाल दिया गया। 2000 में आगरा में उस पर पाखंड फैलाने का आरोप लगा था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित तबके में उसका खासा प्रभाव है। यूपी के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में उसके लाखों फोलोअर्स हैं। कई जगह उसके आश्रम हैं और करोड़ों की संपत्ति है।
चमत्कार की उम्मीद में जाते हैं लोग : आश्चर्य की बात तो यह है कि जो अनुयायी भोले बाबा को परमात्मा मानते थे, उनकी मौत के बाद स्वंयभू भगवान खुद कहीं जाकर छिप गया है। भोले बाबा ही नहीं भोले-भाले लोगों को अपने शब्दजाल में फंसाने वाले स्वयंभू बाबाओं की फेहरिस्त काफी लंबी है। गरीबी और अन्य समस्याओं के बोझ तले दबे लोग इनसे चमत्कारों की उम्मीद लगा बैठते हैं, लेकिन बदले में इन्हें मिलती है हाथरस जैसी मौत, जिसकी वे सपने में भी कल्पना नहीं करते।
पहले भी हुई हैं भगदड़ की घटनाएं : सत्संगों और धार्मिक आयोजनों में भगदड़ की इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन लोग है कि सबक ही नहीं लेते। जानते-समझते हुए भी भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं। 4 मार्च, 2010 को यूपी के ही प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के रामजानकी मंदिर में लोग कपड़े और खाना लेने के लिए जमा हुए थे। इस दौरान भीड़ के अनियंत्रित होने से भगदड़ मच गई और 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
साल 2005 में महाराष्ट्र के सतारा में मांढरदेवी मची भगदड़ में 340 लोगों जान चली गई। 13 अक्टूबर, 2013 में मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रत्नागिरी मंदिर में नवरात्रि के दौरान मची भगदड़ में 115 लोगों की मौत हो गई। जनवरी 2011 में इदुक्की जिले में पुलमेदु के पास सबरीमाला से वापस जा रहे श्रद्धालुओं में मची भगदड़ में 104 लोगों की मौत हुई। 3 अगस्त, 2008 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी में पहाड़ से पत्थर गिरने की अफवाह फैली और वहां भगदड़ मच गई। इस हादसे में 162 लोगों की मौत हो गई। 2003 के नासिक कुंभ में भी करीब 40 लोगों की मौत हुई थी।