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सुषमा स्वराज बोलीं, युद्ध नहीं, बातचीत है समाधान...

हमें फॉलो करें सुषमा स्वराज बोलीं, युद्ध नहीं, बातचीत है समाधान...
, गुरुवार, 3 अगस्त 2017 (20:00 IST)
नई दिल्ली। चीन के साथ डोकलाम क्षेत्र में चल रहे गतिरोध के बीच भारत ने गुरुवार को कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि किसी भी मामले को बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है।             
             
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में 'भारत की विदेश नीति तथा सामरिक भागीदारों के साथ तालमेल' विषय पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि डोकलाम मुद्दे पर चीन के साथ संवाद चल रहा है और सरकार राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि भारत केवल डोकलाम ही नहीं बल्कि चीन के साथ सभी द्विपक्षीय मामलों पर विस्तार से चर्चा कर रहा है। सरकार भूटान के साथ भी निरंतर संपर्क बनाए हुए है। 
             
श्रीमती स्वराज ने कहा, युद्ध समस्या का समाधान नहीं है। बातचीत से ही समाधान होता है। युद्ध के बाद भी हार या जीत-कुछ भी होने पर आपको बातचीत ही करनी होती है। उन्होंने कुछ सदस्यों के युद्ध की तैयारी से संबंधित सवालों पर कहा कि सेना युद्ध के लिए ही होती है और वह सीमा पर तैनात है, लेकिन युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। भारत की नीति कूटनीति के जरिए समाधान निकालने और संयम और धैर्य से काम करने की है। 
               
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत- भूटान और चीन के ट्राइजंक्शन क्षेत्र से संबंधित समझौतों में यह बात स्पष्ट रूप से कही गई  है कि सीमाओं का निर्धारण तीनों देशों की परस्पर बातचीत के आधार पर ही किया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अस्ताना में मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ शब्दों में कहा था कि कुछ मुद्दों पर हमारे मतभेद हैं लेकिन हमें इन्हें विवाद में नहीं बदलने देना चाहिए।
              
श्रीमती स्वराज ने कुछ सदस्यों के इस आरोप को भी गलत बताया कि सरकार ने चीन के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों की दो दिन बैठक बुलाकार उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी दी गई और सरकार का रुख को स्पष्ट किया गया। विपक्षी नेताओं को यह भी बताया गया कि सरकार डोकलाम के मुद्दे पर हड़बड़ी में कदम नहीं उठाएगी और धीरज तथा संयम से समाधान निकाला जाएगा। 
               
उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने चीन के मुद्दे पर सरकार से पक्ष जानने की बजाय चीनी राजदूत से मुलाकात कर स्थिति के बारे में जानकारी ली। कांग्रेस नेताओं को पहले सरकार का रुख जानना चाहिए था। (वार्ता) 


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