मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणामों को 6 दिन से भी ज्यादा वक्त हो चुका है, लेकिन भाजपा इन राज्यों में मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय नहीं कर पाई है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में सोमवार को विधायक दल की बैठक होगी। छत्तीसगढ़ में विधायक दल की बैठक रविवार को होगी। माना जा रहा है कि सोमवार तक तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नाम फाइनल हो जाएंगे।
कहा जा रहा है कि भाजपा ऐसे समय में कम से कम एक महिला मुख्यमंत्री को चुनना चाहेगी, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा के लिए महिला मतदाताओं के समर्थन को लगातार रेखांकित कर रहे हैं।
राजस्थान में जहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अड़ी हुई हैं, वहीं मध्य प्रदेश में शिवराज 'इमोशनल दांव' चलकर अपना दावा मजबूती से पेश कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी के लिए ये दो राज्य मुश्किल का सबब बने हुए हैं। हालांकि हाईकमान ने राजस्थान का मसला सुलझाने का जिम्मा रक्षामंत्री राजनाथ को सौंपा है। संभव वे हाईकमान की मंशा के अनुरूप वसुंधरा को मना लें।
भाजपा ने शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को क्रमश: राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी विधायक दल के नेता के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
राजस्थान में राजनाथ के अलावा राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। भाजपा के भीतर इस बात की चर्चा है वसुंधरा जगह किसी नए चेहरे को राज्य की कमान सौंप सकती है।
इस बीच, बालकनाथ योगी जेपी नड्डा और अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं। ऐसे में उनका दावा मजबूत माना जा रहा है। गजेन्द्रसिंह शेखावत, दीया कुमारी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी इस दौड़ में शामिल हैं।
जबकि मुंडा के साथ केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और भाजपा महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक होंगे। पिछले दिनों संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज की थी। पार्टी ने इन चुनावों में मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा नहीं की थी।
मध्य प्रदेश में जहां भाजपा ने दो-तिहाई बहुमत के साथ बड़ी जीत हासिल की, वहां वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दावा सबसे मजबूत और स्वाभाविक माना जा रहा है। शिवराज के अलावा यहां प्रह्लाद पटेल, नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी चर्चा में है। भाजपा 18 साल से राज्य की सत्ता में है। इसलिए पार्टी के भीतर राज्य में किसी नए चेहरे पर दांव लगाने का विचार है। मप्र में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ पार्टी के ओबीसी मोर्चा के प्रमुख के. लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा पर्यवेक्षक बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा किसी ओबीसी या आदिवासी नेता को बागडोर सौंपने पर विचार कर रही है। लता उसेंडी, गोमती साय और रेणुका सिंह जैसे अनुसूचित जनजाति वर्ग के नेता शीर्ष पद के लिए स्वाभाविक दावेदार हैं। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और नौकरशाह से राजनेता बने ओपी चौधरी भी पिछड़ी जातियों से हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमण सिंह को भी राज्य की बागडोर सौंपी जा सकती है।