नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग ने पुलिस की टीम के साथ रविवार को एक कथित आध्यात्मिक गुरु के द्वारका स्थित आश्रम पर छापा मारकर वहां कथित तौर पर बंधक बनाकर रखी गईं 5 लड़कियों को मुक्त कराया।
यह छापेमारी बृहस्पतिवार को रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय पर हुई छापेमारी के मद्देनजर की गई, जहां महिलाओं और लड़कियों को जानवरों की तरह पिंजरे में बंद कर रखा गया था। आश्रम का संस्थापक वीरेन्द्र देव दीक्षित है।
मामला तब प्रकाश में आया था, जब गैरसरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर सोशल एंपॉवरमेंट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर सूचित किया कि वहां कई महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को अवैध रूप से बंद कर रखा गया है।
जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने आश्रम के निरीक्षण के लिए वकीलों और दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल की एक समिति गठित की थी। उच्च न्यायालय ने समिति से दीक्षित द्वारा दिल्ली में चलाए जा रहे ऐसे अन्य केंद्रों का निरीक्षण करने को भी कहा था। दिल्ली महिला आयोग ने शनिवार को दिल्ली पुलिस के साथ उत्तम नगर के मोहन गार्डन स्थित दीक्षित के आश्रम पर छापा मारा था और वहां बंद 25 महिलाओं को मुक्त कराया था। रविवार को महिला आयोग ने आश्रम से 5 और लड़कियों को मुक्त कराया।
मालीवाल ने ट्वीट किया कि मोहन गार्डन स्थित आश्रम से 5 और नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया। वे यहां जेल जैसी स्थिति में बंद थीं। स्थानीय लोगों ने सूचना दी कि
शनिवार रात के हमारे दौरे से पहले शनिवार सुबह बहुत सी लड़कियों को वहां से हटा दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि वे अक्सर रात के समय लड़कियों के रोने की आवाज सुनते थे। बृहस्पतिवार को रोहिणी स्थित आश्रम से किशोर उम्र की 41 लड़कियां बचाई गई थीं और वहां से कई आपत्तिजनक चीजें जब्त की गई थीं।
मालीवाल ने दावा किया कि आश्रम में बॉक्स पाए गए जिनमें दीक्षित द्वारा आश्रम में बंद लड़कियों को लिखे गए आपत्तिजनक सामग्री वाले पत्र थे। दिल्ली महिला आयोग ने पूर्व में दावा किया था कि रोहिणी स्थित आश्रम में हर 10 मीटर पर धातु के गेट थे और छतों पर बाड़बंदी की गई थी जिससे कि लड़कियां वहां से भाग न सकें।
स्थानीय निवासियों ने दावा किया कि लड़कियों को वहां वर्षों से रखा गया था। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया तथा वह अदालत के आदेश के बाद ही हरकत में आई। स्थानीय निवासी मीना सिंह ने कहा कि रात लगभग 2 से सुबह 5 बजे तक हम लड़कियों के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनते थे लेकिन हमने कभी उन्हें दिन में नहीं देखा। हर रात कारें आती थीं और जाती थीं। यह कई सालों से चल रहा था। (भाषा)