नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग ( डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के दोषियों को मृत्युदंड समेत ऐसे अपराधों के लिए कड़ी सजा के प्रावधान संबंधी अध्यादेश की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से उद्घोषणा होने के बाद अपनी भूख हड़ताल खत्म कर ली। वह पिछले दस दिनों से यहां राजघाट पर भूख हड़ताल पर बैठी हुई थीं।
उन्होंने इस अध्यादेश पर लोगों को बधाई दी और कहा कि बहुत कम प्रदर्शनों ने इतने कम समय में इतना कुछ हासिल किया। उन्होंने सरकार के फैसले को स्वतंत्र भारत के लिए ‘ऐतिहासिक जीत’बताया। आयोग की प्रमुख ने कहा कि यह लड़ाई का अंत नहीं है और यदि सरकार तीन महीने में कानून लागू नहीं कर पाएगी तो वह फिर संघर्ष करेंगी। उन्होंने कहा कि मैं लड़ती रहूंगी।
मैं उन सभी स्वयंसेवकों और एनजीओ को धन्यवाद देती हूं और शुक्रिया अदा करती हूं जिन्होंने इस आंदोलन के वास्ते दिन-रात हमारा साथ दिया और हमारे साथ काम किया। आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 के अनुसार बलात्कार के मामलों से निबटने के लिए नई त्वरित अदालतें स्थापित की जाएंगी तथा कालांतर में सभी थानों एवं अस्पतालों को विशेष फोरेंसिक किट्स दिए जाएंगे।
अधिकारियों ने इस अध्यादेश का हवाला देते हुए बताया कि उसमें खासकर 12-16 साल की उम्र की लड़कियों से बलात्कार के दोषियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। बारह साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ ऐसा जघन्य कृत्य करने वालों को मृत्युदंड मिलेगा।
अपनी हड़ताल खत्म करते हुए स्वाति मालीवाल ने कहा कि हर रोज तीन, चार, छ: साल की बच्चियों से नृशंस बलात्कार हो रहा है। मैंने पत्र लिखे, नोटिस जारी किए। मैंने नागरिकों द्वारा लिखे गए 5.5 लाख पत्र प्रधानमंत्री को सौंपे। लेकिन सारा व्यर्थ गया। उन्होंने कहा कि उसके पश्चात मैंने भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया। कोई रणनीति नहीं थी। धीरे-धीरे पूरे देश में लोग इस आंदोलन से जुड़ते गए।
उसे इतना बल मिला कि प्रधानमंत्री को भारत लौटने के बाद कानून में संशोधन करना पड़ा। मैं इस जीत के लिए भारत के लोगों को बधाई देती हूं। आयोग बलात्कार के मामलों से निबटने के लिए देशभर में त्वरित अदालतों के गठन एवं दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग करता रहा है। स्वाति मालीवाल ने इस अध्यादेश समेत छ: मांगों का उल्लेख करते हुए कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था।