पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र एवं बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने शनिवार को अपनी ही पार्टी के खिलाफ कड़ा तेवर अख्तियार कर शीर्ष नेतृत्व के लिए परेशानी बढ़ा दी। राजद विधायक यादव ने यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने छोटे भाई और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के लिए कुर्सी (पद) छोड़कर बलिदान दिया है, लेकिन बदले में उन्हें सिर्फ अपमान मिल रहा है।
पार्टी के अंदर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बनता जा रहा है और कोई सही बात सुनने वाला नहीं है। यादव ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि असामाजिक तत्वों द्वारा भाई-भाई में लड़ाने की कोशिश की जा रही है। राजद अध्यक्ष यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के साथ-साथ उनका एवं उनके भाई तथा उनकी बड़ी बहन एवं राज्यसभा सांसद मीसा भारती का नाम बेचा जा रहा है।
हालांकि पार्टी के अंदर कौन लोग इस तरह की कारगुजारी कर रहे हैं, यह बताने से उन्होंने इंकार कर दिया। राजद विधायक ने कहा कि उनकी पार्टी के अंदर कोई नहीं सुनता। पार्टी के किसी नेता को काम के लिए वे फोन करते हैं तो दूसरी ओर से कोई तव्वजो नहीं दी जाती है।
उनके फोन करने पर यह कहा जाता है कि ऊपर से दबाव है और हम कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के राजेन्द्र पासवान को पार्टी में सम्मानित पद दिलाने के लिए उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे से कहा था लेकिन उनकी नहीं सुनी गई।
यादव ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने अपने छोटे भाई तेजस्वी प्रसाद यादव से भी बात की, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने राजद अध्यक्ष यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से बात की तब उनकी बात सुनी गई। उन्होंने कहा कि अपने मन की पीड़ा जब उन्होंने अपनी पत्नी को बताया तब वह भी दुखी हो गई।
राजद विधायक ने कहा कि उनके छोटे भाई उनके कलेजे का टुकड़ा हैं और उसे उस मुकाम तक मैंने ही पहुंचाया है। गांधी मैदान में आयोजित रैली के दौरान ही उन्होंने तेजस्वी को राजद का युवराज बनाने की घोषणा की थी। आवश्यकता पड़ने पर वे उसी तरह तेजस्वी को हस्तीनापुर (गद्दी) सौंपकर स्वयं द्वारका चले जाएंगे जिस प्रकार भगवान कृष्ण पांडव को सत्ता सौंपने के बाद स्वयं द्वारका चले गए थे।
राजद अध्यक्ष यादव और राबड़ी देवी से उनकी कोई शिकायत नहीं है। इससे पूर्व यादव ने आज भी ट्वीट किया कि मेरा सोचना है कि मैं अर्जुन को हस्तीनापुर के गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊं। अब कुछेक 'चुग्लों' को कष्ट है कि कहीं मैं किंगमेकर न कहलाऊं। (वार्ता)