हैदराबाद/नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने रविवार को बताया कि यूनेस्को ने तेलंगाना के मुलुगू जिले के पालमपेट में स्थित ऐतिहासिक रुद्रेश्वर मंदिर को विश्व धरोधर की उपाधि प्रदान की है। इस मंदिर को रामप्पा नाम से भी जाना जाता है।
रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ईस्वी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल के दौरान कराया गया था। यह मंदिर रेचारला रुद्र ने बनवाया था जो काकतीय राजा गणपति देव के एक सेनापति थे। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है और मंदिर के अधिष्ठाता देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक इसे रामप्पा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका नाम इसके शिल्पकार के नाम पर रखा गया था जिन्होंने 40 साल तक मंदिर के लिए काम किया था।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने ट्वीट किया कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि यूनेस्को ने तेलंगाना के वारंगल के पालमपेट में स्थित रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र, खासकर, तेलंगाना के लोगों की ओर से, मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करता हूं।
किशन रेड्डी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण, संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व विरासत समिति की बैठक 2020 में आयोजित नहीं की जा सकी थी और 2020 और 2021 के नामांकनों पर ऑनलाइन बैठक की एक श्रृंखला में चर्चा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि रामप्पा मंदिर पर रविवार को चर्चा की गई। सरकार ने 2019 के लिए यूनेस्को को इसे विश्व धरोहर स्थल के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव दिया था। रेड्डी ने बताया कि विश्व विरासत समिति में 21 सदस्य हैं और फिलहाल चीन इसकी अध्यक्षता कर रहा है जिसने तेलंगाना के मंदिर को विश्व धरोहर के लिए चुना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि उत्कृष्ट! सभी को बधाई, खासकर तेलंगाना की जनता को। प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय राजवंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है। मैं आप सभी से इस शानदार मंदिर के परिसर में जाने और इसकी भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करता हूं।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने ऐतिहासिक रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता देने के यूनेस्को के फैसले की सराहना की। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, राव ने यूनेस्को के सदस्य राष्ट्रों, केंद्र सरकार को उसके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
तेलंगना के पर्यटन मंत्री वी श्रीनिवास गौड़ ने ट्विटर पर कहा, “यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि काकतीय युग के 800 साल पुराने रामप्पा मंदिर को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया गया है।
किशन रेड्डी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की पूरी टीम को रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर स्थल बनाने की दिशा में उनके अथक प्रयासों के लिए बधाई दी और विदेश मंत्रालय का भी उनकी कोशिशों के लिए आभार जताया।
मंत्रालय के बयान के अनुसार, काकतियों के मंदिर परिसरों की विशिष्ट शैली, तकनीक और सजावट काकतीया मूर्तिकला के प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं। रामप्पा मंदिर इसकी अभिव्यक्ति है और काकतियों की रचनात्मक प्रतिभा का प्रमाण प्रस्तुत करती है। मंदिर 6 फुट ऊंचे तारे जैसे मंच पर खड़ा है, जिसमें दीवारों, स्तंभों और छतों पर जटिल नक्काशी से सजावट की गई है, जो काकतिया मूर्तिकारों के अद्वितीय कौशल को प्रमाणित करती है।
उसमें बताया गया है कि यूरोपीय व्यापारी और यात्री मंदिर की सुंदरता से मंत्रमुग्ध थे और ऐसे ही एक यात्री ने उल्लेख किया था कि मंदिर 'दक्कन के मध्ययुगीन मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा' है।
काकतीय धरोहर न्यास (केएचटी) के न्यासी एम पांडुरंगा राव ने कहा कि वे विश्व धरोहर स्थलों की सूची के लिए भारत के नामांकन में रामप्पा मंदिर को शामिल कराने के लिए 2010 से तेलंगाना राज्य पुरातत्व विभाग और एएसआई के साथ मिलकर इसका प्रस्ताव देने वाला एक डोजियर तैयार कर रहे थे। (भाषा)