Tension between Shinde faction and BJP: शिवसेना के वरिष्ठ नेता गजानन कीर्तिकर ने शुक्रवार को कहा कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और भाजपा के बीच सीट बंटवारे की व्यवस्था 2019 की तरह ही रहेगी। दूसरी ओर, भाजपा ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। शिवसेना और भाजपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था। उस समय शिवसेना विभाजित नहीं थी।
कीर्तिकर ने मुंबई में कहा कि शिवसेना ने पिछली बार (48 में से) 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा ने 26 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 23 पर जीत हासिल की थी। इस बार भी (सीट बंटवारे की) यही व्यवस्था रहेगी। हमने (2024 के चुनावों के लिए) पहले ही तैयारी शुरू कर दी है।
महाराष्ट्र से शिवसेना के 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खेमे में हैं और 5 उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट में हैं। शिवसेना के प्रवक्ता एवं राज्य के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि उनकी पार्टी को उम्मीद है कि सीटों के बंटवारे से संबंधित फॉर्मूले में कोई बदलाव नहीं होगा।
इस बीच, भाजपा नेता एवं संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अभी तक कोई फॉर्मूला तैयार नहीं किया गया है। मुंबई में राजभवन में मुनगंटीवार ने कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फॉर्मूला तय नहीं हुआ है। किसी भाजपा नेता ने यह नहीं कहा कि एकनाथ शिंदे की मांगें नहीं मानी जाएंगी। लोगों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाली सरकार देने के उद्देश्य से शिंदे ने भाजपा से हाथ मिलाया था।
भाजपा नेता ने कहा कि उनकी मांगों का सम्मान किया जाएगा। पहले बालासाहेब ठाकरे और अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए भाजपा के मन में बहुत सम्मान है। उन्होंने कहा कि शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों एक साथ बैठेंगे और लोकसभा चुनाव तथा विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला लेंगे।
शिवसेना सांसद का सरकार पर आरोप : दूसरी ओर, महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं होने के संकेत देते हुए एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सांसद गजानन कीर्तिकर ने कहा कि उनकी पार्टी के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। चूंकि, शिवसेना एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का हिस्सा है, इसलिए उसके सांसदों का काम 'उसी के मुताबिक' होना चाहिए।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाने के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना 2019 में राजग से बाहर हो गई थी। पिछले साल शिवसेना में फूट के बाद शिंदे ने भाजपा से हाथ मिला लिया था और मुख्यमंत्री बने थे। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala