जम्मू। बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख में चीन सीमा के पास दुर्बुक-दौलत बेग ओल्डी सड़क के इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ और मोर्चाबंदी के बाद यह कहा जा रहा है कि चीनी सीमा पर भारत को एक और कारगिल जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि तोपखानों, बख्तरबंद वाहनों जैसे सैनिक साजो-सामान के साथ डटे हुए 5 हजार से अधिक चीनी सैनिकों का सामना करने को अब भारतीय सेना ने हाई एल्टीट्यूड पर लड़ने में सक्षम बटालियनों को इस इलाके में तैनात कर दिया है।
अपुष्ट खबरें कहती हैं कि इन बटालियनों के जवानों की छुट्टियां भी रद्द कर उन्हें अपने तैनाती वाले स्थानों तक पहुंचने को कहा गया है। फिलहाल इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि कोरोना से प्रभावित जवानों को भी ड्यूटी पर रिपोर्ट करना है या नहीं।
इन बटालियनों में अधिकतर लद्दाख स्काउट्स के जवान शामिल हैं। वे अधिकतर लद्दाख से ही भर्ती किए गए हैं। जो ऊंचाई वाले इलाकों में युद्ध के लिए विशेषतौर पर प्रशिक्षित किए जाते हैं तथा वे इलाके की परिस्थितियों से भली-भांति परिचित होते हैं।
अधिकारियों ने माना है कि गलवान वैली में चीनी सेना की मौजदूगी स्थानीय स्तर पर दोनों सेनाओं को युद्ध की ओर ले जा रही है क्योंकि अबकी बार चीनी सेना का रुख पूरी तरह से ही बदला हुआ है, जो पूरी गलवान वैली पर अपना अधिकार जताते हुए भारतीय सेना को पीछे हटने पर जोर डाल रही है।
दरअसल चीन इस इलाके में चलने वाले विकास कार्यों से करीब 10 सालों से ही चिढ़ा हुआ है। भारतीय सेना ने लद्दाख के उन इलाकों में सड़कों और हवाई पट्टियों का निर्माण किया है, जो पिछड़े हुए थे और जिनकी गैर मौजूदगी में चीनी सीमा तक सैनिक व साजो सामान पहुंचाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। अब तो चीन सीमा से महज 8 किमी पीछे खोली गई एयर फील्ड की बदौलत भारतीय वायुसेना आधे घंटे में 500 टन युद्ध सामग्री पहुंचा सकती है और यही चीन को नागवार गुजर रहा है।
मिलने वाले समाचारों के अनुसार भारतीय पक्ष किसी भी प्रकार से युद्ध टालने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन चीनी सेना की उकसावे वाली कार्रवाइयां तथा भारतीय क्षेत्र में 2 से 4 किमी भीतर आकर टेंट गाड़ लिए जाने की घटना इसके प्रति शंका पैदा करती है कि संघर्ष खूनी नहीं होगा।
जानकारी के लिए चीन से सटी एलएसी कोई चिन्हित सीमा रेखा नहीं है और अक्सर दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के इलाके में घुस जाती हैं। इस बार भी ऐसा हुआ है, यह भ्रम है। क्योंकि चीनी सेना के 5 हजार से अधिक जवान कोई गश्ती दल नहीं बल्कि वे पूरी तैयारी के साथ गलवान वैली में आ डटे हैं।