सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर उत्तरप्रदेश के बाद अब मध्यप्रदेश के ग्वालियर और मुरैना में भी वर्ग संघर्ष बढ़ने लगा है। ग्वालियर में चिरवाई नाका पर सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति स्थापना के बाद शुरू हुए विवाद के बाद अब मुरैना में सम्राट को अपनी-अपनी जाति और वंश का बताकर गुर्जर और क्षत्रिय आमने-सामने आ गए हैं। बताया जा रहा है कि मुरैना में सड़क जाम के बाद बानमोर में 12 से अधिक युवकों ने गुरुवार रात को मुरैना व ग्वालियर के बीच चलने वाली बसों में तोड़फोड़ की।
वर्ग संघर्ष की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने आगामी तीन दिनों तक मुरैना में स्कूल व कोचिंग संस्थान बंद रखने के आदेश देर रात जारी कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि ग्वालियर में कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, SP अमित सांघी ने दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों को शहर में माहौल न बिगाड़ने की चेतावनी दी है। के बाद भी कोई नहीं मानता है और इस तरह का काम करता है जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द का माहौल बिगड़ता है तो वह NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) व जिलाबदर की कार्रवाई के लिए तैयार रहे। मामला न्यायालय में है और जब तक कोई फैसला नहीं हो जाता है, तब तक किसी भी तरह का विवाद न करें।
कैसे शुरू हुआ विवाद: कुछ दिन पहले ग्वालियर में चिरवाई नाका पर सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति लगाई गई। इसके बाद मुरैना में भी लगाई गई। इस मूर्ति के नीचे लगे शिलालेख में उन्हें गुर्जर बताया गया। इसी बात को लेकर दोनों वर्गों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है। यह विवाद अब धीरे-धीरे वर्ग संघर्ष का रूप लेता जा रहा है।
गुर्जर समुदाय का दावा है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर जाति के थे। इसलिए उनके द्वारा स्थापित राजवंश को गुर्जर-प्रतिहार वंश कहा जाता है। इस पर क्षत्रिय महासभा का दावा है कि एक समुदाय सम्राट पर जबरन कब्जा करना चाहता है। यह ऐतिहासिक चोरी है। इतिहास के साथ खिलवाड़ है। क्षत्रिय महासभा ने इस संबंध में एक ज्ञापन भी कलेक्टर ग्वालियर को सौंपा है।
इसमें सभी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं, जिसमें सम्राट मिहिर भोज को प्रतिहार (परिहार) वंश का बताया गया है। इसके जवाब में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने भी बुधवार को एक पत्रकार वार्ता कर इतिहासकार आचार्य वीरेन्द्र विक्रम के माध्यम से सम्राट को गुर्जर बताया है।