Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

उच्च शिक्षित कश्मीरी भी आतंकवाद की राह पर

हमें फॉलो करें उच्च शिक्षित कश्मीरी भी आतंकवाद की राह पर
webdunia

सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। कश्मीर में दो सिलसिले तेजी पकड़ चुके हैं। पहला बंदूक उठाकर आतंकवाद की राह को थामने का तो दूसरा आतंकी बन रहे युवकों को मार गिराने का। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि कश्मीर में अब अधिकतर पढ़े-लिखे युवक ही आतंकी बनते जा रहे हैं। ऐसे युवकों के साथ-साथ उस पार से आने वाले आतंकियों को भी सेना बख्श नहीं रही है। यह इससे भी साबित होता है कि इस साल अभी तक अगर 6 बहुत ही पढ़े-लिखे युवकों ने आतकंवाद की राह को थामा तो पिछले 10 दिनों में दर्जन से अधिक आतंकी मार गिराए जा चुके हैं।


इस साल सेना दिवस पर भी उड़ी सेक्टर से जैश के फिदायीन आतंकियों के एक दल की घुसपैठ करने की खबर मिली। जवानों ने जबरदस्त तरीके से कार्रवाई करते हुए पांच आतंकियों को मार गिराया था। बाकी आतंकी वापस भागने में कामयाब रहे। इस साल सेना द्वारा मारे गए ज्यादातर आतंकी फिदायीन थे। पिछले सिर्फ दस दिनों में सेना द्वारा किए गए ताबड़तोड़ हमलों में एक दर्जन से अधिक आतंकी मार गिराए गए। इसी महीने की 22 तारीख को कुपवाड़ा के हलमतपोरा इलाके में पांच आतंकियों ने घुसपैठ की थी। इन आतंकियों के निशाने पर घाटी के सैन्य कैंप थे।

इस बार की गर्मियों में घाटी में दहशत पैदा करने आए ये दहशतगर्द उससे पहले ही सेना की राडार पर आ गए और 48 घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद मार गिराए गए। मारे गए सभी आतंकी पाकिस्तान के थे और लश्कर से जुड़े थे। इसके ठीक दो दिनों बाद 24 मार्च को अनंतनाग के डुरू में जैश-ए-मोहम्मद के दो विदेशी आतंकियों को मार गिराया। 26 मार्च को भी सेना ने बडगाम में एक स्थानीय आतंकी को ढेर किया। वहीं इस महीने के अंत में सेना ने सटीक जानकारी मिलने के बाद सुंदरबनी मुठभेड़ में चार फिदायीन आतंकियों का काम तमाम कर दिया।

दरअसल, मुठभेड़ों में आतंकियों के मरने का आंकड़ा इसलिए बढ़ता जा रहा है क्योंकि सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद घाटी के कई युवा आतंक की राह पर चल पड़े हैं। इसमें शिक्षित युवाओं की संख्या ज्यादा है। इस साल अब तक घाटी के छह युवा कलम छोड़ बंदूक उठा चुके हैं। इन सभी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। सुरक्षा एजेंसियां पढ़े-लिखे युवाओं का आतंकवाद में शामिल होना बड़ी चुनौती मान रही हैं। उनका कहना है कि कुछ ऐसे तत्व घाटी में सक्रिय हैं जो शिक्षित युवाओं को बहका रहे हैं।

हालांकि हाल ही में केंद्रीय गृह सचिव ने श्रीनगर में हुई सुरक्षा समीक्षा बैठक में राज्य सरकार को स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती रोकने के लिए प्रयासों में सहयोग का आश्वासन दिलाया है। गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में 280 स्थानीय युवाओं ने आतंकवाद का रास्ता अपनाते हुए हाथों में बंदूक उठा ली। वर्ष 2017 में 126, 2014 में 53, 2013 में 16, 2012 में 21, 2011 में 23 और 2010 में 54 युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए।

हाल ही में वायरल तस्वीरों में आतंकी बने युवाओं ने संक्षेप में अपना बायोडाटा भी वायरल किया। तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सेहराई के आतंकी बने बेटे जुनैद अहमद सेहराई की वायरल तस्वीर इसका ताजा उदाहरण है। वह हिजबुल में शामिल हो गया। यहां तक कि आतंकी बनने की तिथि को भी अंकित किया। जुनैद कश्मीर यूनिवर्सिटी से एमबीए है। श्रीनगर के फैज मुश्ताक वाजा और दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले के रौफ बशीर खांड़े की हाल ही में इसी तरह से तस्वीर सामने आई।

फैज की वायरल तस्वीर पर लश्कर-ए-तैयबा और रौफ की तस्वीर पर हिजबुल मुजाहिदीन लिखा था। रौफ बीए फर्स्ट ईयर का छात्र था। इस साल की शुरुआत में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का स्कॉलर मन्नान वानी हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। वह उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। ऐसा भी नहीं है कि 10 दिनों के भीतर दर्जनभर आतंकियों के मारे जाने की घटनाओं के बाद आतंकवाद की राह थामने का सिलसिला थम गया हो, बल्कि यह दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, जो सुरक्षाबलों के लिए चुनौती साबित होने लगा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चीन में मिले 5000 साल पुराने मंदिर के अवशेष