श्रीनगर। कश्मीर में आतंकी हमलों की झड़ी लग गई है। स्वतंत्रता दिवस पर नौहट्टा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले के बाद आतंकियों ने अब रात के अंधेरे में हमले बोलकर सेना के दो तथा पुलिस के एक जवान को मार डाला। दोनों हमले उनके काफिलों पर किए गए। हालांकि आतंकियों ने पुलवामा में भी पुलिसवालों पर ग्रेनेड फैंके थे। दूसरी ओर बुधवार को 40वें दिन भी कश्मीर वादी कर्फ्यू से कराहती रही, लेकिन अलगाववादी नेताओं के दिल नहीं पसीजे और उन्हें लोगों की परेशानियां तक नजर नहीं आ रही हैं।
नौहट्टा में हुए आतंकी हमले के बाद अब बारामूला में बड़ा हमला हुआ है। सेना के काफिले पर मंगलवार रात घात लगाकर किए गए हमले में सेना के 2 जवानों समेत 3 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए हैं। एहतियातन इलाके की घेराबंदी कर दी गई है, वहीं पुलवामा में भी ग्रेनेड हमले में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं।
घाटी में श्रीनगर जिले, अनंतनाग कस्बे और मगाम इलाके में कर्फ्यू लगा हुआ है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आधी रात के बाद करीब ढाई बजे बारामूला जिले में ख्वाजाबाग इलाके में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर हमला किया गया। घटनास्थल से फरार हुए आतंकवादियों की धरपकड़ के लिए व्यापक अभियान चलाया गया है।
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में मंगलवार रात एक पुलिस चौकी पर आतंकियों ने ग्रेनेड भी फेंके, जिससे कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि रात में आठ बजकर 50 मिनट पर काकापोरा पुलिस चौकी पर आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका। उन्होंने कहा कि ग्रेनेड आहाते के भीतर फटा, जिससे पांच पुलिसकर्मी मामूली रूप से जख्मी हो गए।
इस बीच कश्मीर में लगातार 40वें दिन सामान्य जनजीवन ठप है, जहां जारी हिंसा में अभी तक 66 लोग मारे जा चुके हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि बड़गाम जिले के मगाम इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है। यहां सुरक्षाबलों की गोलीबारी में मंगलवार को चार लोग मारे गए थे। श्रीनगर जिले और अनंतनाग कस्बे में भी कर्फ्यू जारी है। उन्होंने बताया कि घाटी के बाकी हिस्सों में लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है।
श्रीनगर में भारी तादाद में सुरक्षाबलों को लगाया गया था और संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह यूएनएमओजी के स्थानीय कार्यालय की ओर से जाने वाले सभी मार्गों को सोनावर में सील कर दिया गया था। अलगाववादी समूहों ने विश्व इकाई से कश्मीर मुद्दे में हस्तक्षेप कर उसे सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय तक मार्च करने का आह्वान किया था।
अलगाववादियों ने सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र कार्यालय तक उनके प्रस्तावित मार्च की अनुमति नहीं दिए जाने की सूरत में 72 घंटे के धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है। अलगाववादियों द्वारा आहूत हड़ताल के कारण स्कूल, कॉलेज और निजी कार्यालय बंद रहे जबकि सरकारी वाहन सड़कों पर नहीं दिखे। सरकारी कार्यालयों में भी उपस्थिति कम रही। पूरी घाटी में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं निलंबित रहीं, जबकि ब्राडबैंड सेवाएं शनिवार शाम से बंद कर दी गईं।
मोबाइल फोन सेवाएं उसी दिन देर रात से निलंबित कर दी गईं। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई को मौत होने के बाद इसके विरोध में प्रदर्शनों को लेकर सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। नागरिकों की मौतों को लेकर अलगाववादी समूह घाटी में प्रदर्शन कर रहे हैं। नौ जुलाई से भड़के संघर्षों में दो पुलिसकर्मियों सहित 66 लोग मारे जा चुके हैं और कई हजार घायल हुए हैं।