Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Vaishnodevi Yatra : वैष्णोदेवी श्रद्धालुओं की भीड़ ने बढ़ाई श्राइन बोर्ड की चिंता

हमें फॉलो करें Vaishnodevi Yatra : वैष्णोदेवी श्रद्धालुओं की भीड़ ने बढ़ाई श्राइन बोर्ड की चिंता

सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , शनिवार, 7 अक्टूबर 2023 (19:31 IST)
Vaishnodevi Yatra : वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड को इस बार उम्मीद है कि वैष्णोदेवी तीर्थ स्थान आने वालों की संख्या इस बार एक करोड़ को पार कर जाएगी। बढ़ती भीड़ के कारण वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। पहले से ही वह आने वालों को दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर परेशान था जिसके हल की खातिर वह आईआईएम अहमदाबाद की सहायता ले रहा है।
 
वैष्णोदेवी तीर्थ स्थान देश का पहला ऐसा तीर्थ स्थान है जहां वाहनों से नहीं बल्कि लोग पैदल ही 13 किमी की चढ़ाई चढ़कर वैष्णोदेवी की पिंडियों के दर्शनार्थ जाते हैं और इन नए बने रिकॉर्डों के बाद श्राइन बोर्ड को इस बार कुल संख्या एक करोड़ के पार जाने के रिकॉर्ड की भी आस जग गई है।

माता के दरबार में वर्ष 2023 के जनवरी माह में 524189 श्रद्धालु, फरवरी माह में 414432, मार्च में 894650, अप्रैल में 1018540, मई में 995773, जून में 1195844, जुलाई में 776800, अगस्त में 710914 और सितंबर में 794156 श्रद्धालु पहुंचे। इसी तरह पहले 9 माह सितंबर तक कुल 7325298 श्रद्धालु पहुंचे थे।

जबकि वर्ष 2022 के जनवरी माह में 438521, फरवरी में 361074, मार्च में 778669, अप्रैल में 902192, मई में 986766, जून में 1129231, जुलाई में 907542, अगस्त में 877762, सितंबर में 828382 श्रद्धालु मां वैष्णोदेवी के चरणों में हाजिरी लगाने पहुंचे थे। वर्ष 2022 के सितंबर माह तक 7210139 श्रद्धालु पहुंचे थे।

बढ़ती भीड़ के कारण हालात ऐसे हैं कि पहाड़ों के बीच स्थित गुफा के दर्शनार्थ आने वालों की सुविधाएं बढ़ाने का अब और कोई स्कोप श्राइन बोर्ड को नहीं सूझ रहा है। पहाड़ों को काटकर नए रास्ते बनाने का जोखिम श्राइन बोर्ड नहीं लेना चाहता क्योंकि भूवैज्ञानिक इसके प्रति चेता रहे हैं।

श्राइन बोर्ड के अधिकारी चाहते हैं कि इस साल आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक नया रिकॉर्ड बनाए। वर्ष 2012 में पहली बार श्रद्धालुओं की संख्या ने एक करोड़ का आंकड़ा पार किया था। उसके बाद यह लगातार चार सालों तक ढलान पर रही। फिर दो साल इसमें बढ़ोतरी तो हुई पर कोरोना के दो सालों ने इसकी वाट लगा दी। कोरोना काल में तो यह हाल था कि वर्ष 2020 में अप्रैल से जुलाई तक यात्रा के बंद रहने के कारण साल में मात्र 17 लाख श्रद्धालु ही आए थे।

यह पूरी तरह से सच है कि चाहे कश्मीर की ओर बढ़ते पर्यटकों के कदमों को आतंकियों की गोलियों की सनसनाहट ने अक्सर रोका हो लेकिन बमों के धमाके भी वैष्णोदेवी के श्रद्धालुओं को कभी नहीं रोक पाए। हालांकि पहले नवरात्रों के दौरान अधिक भीड़ होती थी तो अब गर्मियों में उत्तरी भारत तथा सर्दियों में महाराष्ट्र तथा गुजरात से आने वाले श्रद्धालुओं के कारण स्थानीय व्यापारियों को श्रद्धालुओं की कमी नहीं खलती है।

पहले सर्दियों में आने वालों की संख्या बहुत ही कम होती थी। भयानक सर्दी तथा अव्यवस्थाओं के चलते लोग सर्दियों के स्थान पर साल के अन्य महीनों में भी गुफा के दर्शनार्थ आते थे। लेकिन पिछले करीब 18 सालों से स्थापना बोर्ड द्वारा बिना शुल्क हीटर, अधिक संख्या में कंबलों तथा गर्मी पहुंचाने के साधनों का इंतजाम बड़ी मात्रा में किए जाने के कारण सर्दियों में भी बड़ी भीड़ श्रद्धालुओं की आ रही है।

यह बात अलग है कि सर्दियों में वैष्णोदेवी की तीर्थयात्रा पर आने का अपना अलग ही आनंद है। यह आनंद तब और भी बढ़ जाता है जब गुफा के आसपास के क्षेत्र में या तो बर्फबारी हो रही हो या फिर बर्फबारी हो चुकी हो। ऐसे में श्रद्धालु एक पंथ में दो काज संवार लेते हैं। उन्हें कश्मीर या फिर पत्नीटाप नहीं जाना पड़ता बर्फ देखने की खातिर।

चाहे कुछ भी कहा जाए वर्ष 1950 में जिस गुफा के दर्शनार्थ मात्र 3000 लोग आया करते थे उसकी कायाकल्प करने में पूर्व राज्यपाल जगमोहन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जिन्होंने 1986 में इसका संचालन अपने हाथों में लेकर स्थापना बोर्ड की स्थापना की थी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अतुल चौरसिया को मिलेगा प्रथम 'पीपी सिंह नेशनल जर्नलिज्म अवॉर्ड', भोपाल में 8 अक्टूबर को कार्यक्रम