मुंबई। सोना हमेशा ही अनिश्चित समय में सुरक्षित निवेश माना गया है। यही वजह है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के अनिश्चित दौर में सोना नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। बहाहरल, अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और नए प्रोत्साहन उपायों की उम्मीद के बीच 2021 में भी सोना 63000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंचने का अनुमान विशेषज्ञों ने व्यक्त किया है।
वर्ष 2020 में कोरोनावायरस महामारी के चलते आर्थिक और सामाजिक अनिश्चितताओं के कारण सोना निवेश का एक सुरक्षित विकल्प बनकर उभरा। इस पीली धातु की कीमत अगस्त में एमसीएक्स पर 56,191 रुपए प्रति 10 ग्राम और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2,075 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई थी।
वैश्विक मौद्रिक नीतियों में तेज बदलाव के तहत 2019 के मध्य में कम ब्याज दर और अभूतपूर्व तरलता का दौर शुरू हुआ, जिसने सोने की कीमत को बढ़ावा दिया और निवेशकों का रुझान इसकी ओर बढ़ता गया।
कमट्रेंडज़ रिस्क मैनेजमेंट सर्विसेज के सीईओ ज्ञानशंकर त्यागराजन ने बताया, इस साल की शुरुआत में (सोने की कीमत) 39,100 रुपए प्रति 10 ग्राम और 1,517 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के साथ हुई। महामारी को लेकर शुरुआती झटका अल्पकालिक रहा और सोना 38,400 रुपए पर आ गया। लेकिन इस बाद यह धीरे-धीरे बढ़ता हुआ 56,191 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया।
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस की वैक्सीन और आर्थिक सुधार की चर्चा के बाजवूद उम्मीद है कि ताजा प्रोत्साहनों के चलते सोना आगे भी तेज बना रहेगा। उन्होंने कहा, ताजा प्रोत्साहनों की वजह से डॉलर कमजोर हो सकता है और इससे सोने की कीमतें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। इसके अलावा बड़े पैमाने पर प्रोत्साहनों के कारण मुद्रास्फीति के दबावों के चलते निवेशकों के लिए सोना आकर्षक बना रहेगा।
त्यागराजन ने कहा कि भारत और चीन से सोने की मांग 2021 में महत्वपूर्ण होगी, जो पिछले कुछ वर्षों से कमजोर है और इसमें एक बार फिर तेजी आ सकती है। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि 2021 में कीमतें कम से कम 60,000 रुपए या 2,200 अमेरिकी डॉलर के स्तर को छू लेंगी, बशर्ते रुपया भी स्थिर रहे।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुधार से जुड़ी चिंताओं के कारण सोना अगले साल भी तेज बना रहेगा और इसकी कीमत कॉमैक्स पर 2,150-2,390 डॉलर प्रति औंस के बीच रह सकती है, जबकि एमसीएक्स पर सोना 57,000-63,000 रुपए के बीच रह सकता है।
उन्होंने कहा, आर्थिक गतिविधियों में पुनरूत्थान की धीमी रफ्तार, श्रम बाजार की वृद्धि भी कमजोर रहने के साथ ही बड़ी मात्रों में प्रोत्साहन उपायों से सोने के दाम लगातार मजबूती में बने रहेंगे। पटेल ने कहा कि 2020 में सोने के दाम को डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से अतिरिक्त समर्थन मिला।
पिछले एक साल के दौरान हाजिर रुपया करीब तीन प्रतिशत नीचे रहा है। इसके अलावा वर्ष की पहली छमाही में अमेरिका के शेयर बाजार में गिरावट और वास्तविक प्राप्ति में गिरने से निवेशक डॉलर से बाहर निकल गए जिसका लाभ सोने में निवेश को मिला।(भाषा)