The issue of security of places of worship in Manipur : उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर सरकार को अदालत द्वारा नियुक्त समिति को राज्य में सार्वजनिक प्रार्थना स्थलों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का शुक्रवार को निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त किए गए धार्मिक स्थलों की पहचान करने के बाद एक व्यापक सूची 2 सप्ताह के भीतर समिति को सौंपे।
मणिपुर में मई में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 170 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रार्थना स्थलों के जीर्णोद्धार के मुद्दे पर विचार करते हुए कहा कि राज्य सरकार हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त किए गए धार्मिक स्थलों की पहचान करने के बाद एक व्यापक सूची दो सप्ताह के भीतर समिति को सौंपे।
पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल रहे। पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी संरचनाओं की पहचान में सभी धार्मिक स्थल शामिल होंगे। उसने कहा, मणिपुर सरकार समिति को सार्वजनिक प्रार्थना स्थलों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताएं।
उच्चतम न्यायालय ने समिति को मई के बाद से हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त या नष्ट किए गए सार्वजनिक प्रार्थना स्थलों के जीर्णोंद्धार समेत कई कदमों पर एक व्यापक प्रस्ताव तैयार करने की भी अनुमति दे दी है। न्यायालय कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें हिंसा के मामलों की जांच अदालत की निगरानी में कराने के अलावा राहत एवं पुनर्वास के लिए उठाए कदमों के बारे में बताने का अनुरोध किया गया है।
उसने न्यायूमर्ति (सेवानिवृत्त) गीता मित्तल की अध्यक्षता में उच्च न्यायालय की पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति नियुक्त की थी। इसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शालिनी पी. जोशी और न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल हैं। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि समिति के पास सार्वजनिक प्रार्थना स्थलों के कथित अवैध अतिक्रमण के संबंध में घटनाओं की निगरानी करने सहित मामले पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की छूट होगी।
पीठ ने कहा, मणिपुर राज्य के साथ ही पुलिस महानिदेशक समिति के साथ समन्वय करेंगे ताकि समिति के अंतरिम सुझावों को बिना किसी विलंब के लागू किया जा सके। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि बड़ी संख्या में विभिन्न समुदायों के लोग अब भी राहत शिविरों में हैं।
जब एक वकील ने आगामी क्रिसमस त्योहार के बारे में बात की तो केंद्र तथा राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को आश्वस्त किया कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे कि राहत शिविरों में रह रहे लोग सभी समारोहों का हिस्सा बन सकें।
मणिपुर में गैर-आदिवासी मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने पर विचार करने का राज्य सरकार को निर्देश देने वाले उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद मई में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में 170 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों अन्य घायल हो गए हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour