Who will become the President of BJP: भाजपा अध्यक्ष का चुनाव लंबे समय से टलता आ रहा है। वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल यूं तो जनवरी 2023 में ही खत्म हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनका कार्यकाल जून 2024 तक के लिए बढ़ा दिया गया था। लोकसभा चुनाव के बाद भी नड्डा भाजपा अध्यक्ष पद पर काबिज हैं, जबकि वे मोदी मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। ऐसे में यह 'एक व्यक्ति, एक पद' की नीति का भी उल्लंघन है। नए अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भाजपा में साफ हिचक दिखाई दे रही है। जून 2024 के बाद भी लगभग 9 माह का समय बीत चुका है, लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कही जाने वाली भाजपा अपने नए अध्यक्ष का नाम तक तय नहीं पाई है। हालांकि एक बात निश्चित मानी जा रही है कि इस बार भाजपा का नया अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पसंद का होगा।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी चाहती है कि अध्यक्ष पद पर जेपी नड्डा जैसा ही कोई व्यक्ति आसीन हो, जो उनके लिए हमेशा 'यसमैन' की भूमिका में रहे। नड्डा ने इस भूमिका को बखूबी निभाया है। इसलिए मोदी और शाह हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। वहीं, संघ चाहता है कि अध्यक्ष उसकी पसंद का हो क्योंकि नड्डा के बयान के बाद संघ में भाजपा के प्रति काफी नाराजगी देखने को मिली थी। इसका असर लोकसभा चुनाव पर भी देखने को मिला था। 400 पार का नारा देने वाली भाजपा 240 सीटों पर सिमट गई। नड्डा ने कहा था- शुरुआत में हम कम सक्षम थे, छोटे संगठन थे और इसलिए हमें आरएसएस की जरूरत थी। आज हम बड़ा संगठन बन गए हैं और हम अधिक काबिल बन गए हैं। अत: हमें संघ की उतनी जरूरत नहीं है। राजनीतिक जानकारों का तो यह भी मानना है कि नड्डा अपने बूते इतना बड़ा बयान नहीं दे सकते।
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असहमति तो है : बताया जा रहा है कि मार्च माह में बेंगलुरु में हुई आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनधि सभा की बैठक में भी भाजपा की खिंचाई की गई। हालांकि भाजपा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सार्वजनिक रूप से प्रतिनिधि सभा के सर सहकार्यवाह अरुण कुमार ने कहा कि संघ अपने साथ जुड़े 32 संगठनों के कामकाज में दखल नहीं देता। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस और भाजपा के बीच कोई असहमति नहीं है। बड़ा सवाल यह भी है कि यदि असहमति नहीं है तो लंबे समय से भाजपा अध्यक्ष का चुनाव क्यों टलता आ रहा है। हालांकि यह बात भी सही है कि भाजपा संघ के लिए मजबूरी है। वह भाजपा के अलावा किसी दूसरे दल का समर्थन कर ही नहीं सकता।
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तमिलनाडु और केरल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा का नया अध्यक्ष दक्षिण भारत के किसी राज्य से हो सकता है। भाजपा के लिए दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में भी इस समय कांग्रेस की सरकार है। दक्षिण में सबसे पहले भाजपा ने कर्नाटक में ही सरकार बनाई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि कर्नाटक या तमिलनाडु का कोई व्यक्ति भाजपा का अध्यक्ष हो सकता है। पूर्व में भी वेंकैया नायडू, जना कृष्णमूर्ति और बंगारू लक्ष्मण दक्षिण से भाजपा के अध्यक्ष रहे हैं, लेकिन उस समय भाजपा को इसका कोई खास फायदा नहीं हुआ था।
ये हो सकते हैं अध्यक्ष पद के लिए संभावित नाम : भाजपा के संविधान के अनुसार पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 15 वर्ष तक पार्टी का सदस्य होना चाहिए। ऐसे में इस बात की उम्मीद नहीं के बराबर है कि सीधे आरएसएस से कई व्यक्ति भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन हो जाए। हालांकि संघ चाहेगा कि अध्यक्ष पद पर ऐसा व्यक्ति बैठे जिसकी पृष्ठभूमि आरएसएस से रही हो। ऐसी स्थिति में सबसे ऊपर धर्मेन्द्र प्रधान का नाम है, जो संघ के नियमित स्वयंसेवक रहे हैं। वर्तमान में मोदी सरकार में मंत्री भी हैं। वे सरकार के साथ संघ को भी साध सकते हैं।
भूपेन्द्र यादव, मनोहर लाल खट्टर और शिवराज सिंह चौहान भी अधयक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। तीनों ही मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं। इन तीनों में भूपेन्द्र यादव का नाम सबसे आगे है। यदि दक्षिण भारत से पार्टी अध्यक्ष चुनने की बात आती है तो तीन नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और जी किशन रेड्डी। सीतारमण तमिलनाडु से ही आती हैं और अगले साल वहां चुनाव होने वाले हैं। यदि सीतारमण को अध्यक्ष बनाया जाता है तो वे भाजपा की पहली महिला अध्यक्ष हो सकती हैं।
प्रह्लाद जोशी चूंकि कर्नाटक से आते हैं, इसलिए उनका दावा भी अध्यक्ष पद के लिए मजबूत है। कर्नाटक की सत्ता में लौटने के लिए भाजपा हाथ-पैर मार रही है। जोशी मोदी कैबिनेट में भी शामिल हैं। ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं कि जोशी की इस पद पर ताजपोशी हो जाए। अध्यक्ष पद के लिए नाम तो वसुंधरा राजे और स्मृति ईरानी के भी सामने आए थे, लेकिन वे जितनी तेजी से सामने आए थे, उतनी ही तेजी से पीछे भी हो गए।
प्रधानमंत्री के रूप नरेन्द्र मोदी का संघ मुख्यालय नागपुर का पहला दौरा भी चर्चा में है। माना जा रहा है कि उनकी अध्यक्ष पद को लेकर भी संघ नेताओं से चर्चा हुई है। यदि वे संघ को मनाने में सफल रहे हैं तो उनका कट्टर समर्थक भी अध्यक्ष बन सकता है। हालांकि इसकी उम्मीद कम दिखाई दे रही है क्योंकि शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत का बयान भी चर्चा में है कि भाजपा का अध्यक्ष संघ की पसंद का ही होगा। भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भाजपा खुद को असहज महसूस कर रही है।