Odisha trains accident: मदद के लिए उठे हजारों हाथ, बालासोर के नागरिक ने बताया आंखों-देखा हाल
हजारों लोकल संस्थाएं आगे आईं, घटनास्थल पर बांटे पानी, पूरी, आलू-दम और खिचड़ी
Odisha trains accident: ओडिशा के बालासोर में रेल एक्सीडेंट के बाद मौत का भयावह मंजर देखकर हर कोई सिहर उठा है। चीख पुकार, घायल और एंबुलेंस में ले जाते शवों के सिलसिले के बीच आम और स्थानीय लोगों के हजारों हाथ मदद के लिए आगे आ गए हैं। मदद के जज्बे का आलम यह है कि सरकारी सेवाओं के साथ ही वहां के स्थानीय और आम नागरिक बालासोर, भद्रक, जाजपुर और कटक तक की लोकल संस्थाएं घायलों और मृतकों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। दरअसल, बालासोर और बाहनगा में इस वक्त गर्मी का आंकड़ा भी बहुत हाई है, ऐसे में स्थानीय लोगों की मदद अपने घायल परिजनों को खोज रहे लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है।
घायलों के लिए खाना-पानी
बालासोर के स्थानीय निवासी पकंज कर ने वेबदुनिया को चर्चा में बताया कि भीषण गर्मी के बीच वहां रेस्क्यू कर रही टीम और घायलों को पीने के लिए पानी और खाने के लिए पूरी, आलूदम और खिचड़ी मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वहां दूर दूर तक नाश्ते या खाने के लिए कुछ नहीं है,ऐसे में ये मदद बेहद जरूरी साबित हो रही है। तेज धूप और गर्मी के बीच लोगों को सैकडों स्थानीय नागरिक पानी और ठंडा पेय उपलब्ध करा रहे हैं। कई लोकल संस्थाएं मदद के लिए आगे आ रही हैं। इनमें बालासोर के म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के टाउन हॉल और यहां के गंगाधर कल्याण मंडप में कम घायलों के रहने की व्यवस्था की गई है। इन संस्थाओं के सदस्य घायलों की मदद कर उन्हें अस्पताल पहुंचा रहे हैं और मृतकों को भेजने के लिए वाहन उपलब्ध करा रहे हैं।
निजी मदद से आसान हुआ रेस्क्यू
पंकज कर ने बताया कि बाहनागा बालासोर से करीब 36 किमी दूर है। ऐसे में घायल लोगों को भ्रदक, जाजपुर, कटक और भुवनेश्वर ले जाया जा रहा है। हालांकि सरकारी सेवाओं की 60 से ज्यादा एंबुलेंस लगातार दौड़ रही हैं, लेकिन इसी बीच स्थानीय लोग अपने निजी बोलेरा, जीप और स्कार्पियो आदि वाहनों से लोगों की मदद कर रहे हैं। इससे रेस्क्यू कुछ और आसान हो गया है। कम घायल लोगों को बालासोर मेडिकल अस्पताल लाया जा रहा है। जबकि शेष को भुवनेश्वर या कटक भेजा जा रहा है। हालांकि हादसे वाले स्थान से इन क्षेत्रों में पहुंचने में तीन से साढे 3 घंटे का समय लगता है, लेकिन निजी वाहनों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद मिल रही है। स्थानीय लोग टीम के साथ घायलों और मृतकों की डेडबॉडी निकालने का काम कर रहे है। घायलों को ब्लड देने के साथ उनकी मदद के लिए बालासोर के लोग बड़ी संख्या मे अस्पताल पहुंचे है।
कैसे हैं अस्पतालों के हालात?
जहां तक अस्पतालों की स्थिति की बात है तो पकंज कर ने बताया कि अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर और मेडिकल सेवाएं मौजूद हैं। कुछ सामान्य मरीज जरूर प्रभावित हुए हैं, लेकिन हादसा इतना बड़ा है कि हर कोई मदद और समझौता करने के लिए तैयार है। लोकल हेल्थ केयर सेंटर की भी मदद ली जा रही है। उन्होंने बताया कि यहां लोकल क्षेत्रों से ब्लड डोनेट करने के लिए अस्पतालों में लोगों और नौजवानों की कतार लगी हुई है।
कोरोमंडल एक्सप्रेस: 72 के कोच में 300 यात्री
घटना स्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी चल रहा है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कहीं किसी बोगी के नीचे कोई घायल या शव न दबा हो। हालांकि अभी पूरी जांच होना बाकी है लेकिन स्थानीय चर्चा में सामने आया कि मरने वालों में नौजवानों की संख्या ज्यादा हो सकती है, क्योंकि बंगाल से बड़ी तादात में नौजवान कामकाम और नौकरी के लिए चैन्नई और साउथ के दूसरे क्षेत्रों में जाते हैं। कोरोमंडल रेल की क्षमता के बारे में बताया जा रहा है कि 72 क्षमता वाली एक बोगी में 250 से 300 यात्री इस ट्रेन में सवार होते हैं। आमतौर पर इस ट्रेन के जनरल कोच में यात्रियों की यही संख्या होती है।
बता दें कि शुक्रवार की शाम को ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसे के बाद तबाही का मंजर सामने आया है। तीन ट्रेने कोरोमंडल एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस और मालगाड़ी की भीषण टक्कर से अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 900 से ज्यादा लोग घायल हैं। कई के फंसे होने की आशंका है। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
भारतीय रेलवे के मुताबिक ओडिशा ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 288 हो गई है, जबकि 747 लोग घायल हुए हैं और 56 गंभीर रूप से घायल हुए हैं।