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Ground Report : तिरुपति के लड्डू प्रसाद में पशु चर्बी वाला घी, कमीशन के लालच में आस्था से खिलवाड़, क्या है सच

हमें फॉलो करें Ground Report  : तिरुपति के लड्डू प्रसाद में पशु चर्बी वाला घी, कमीशन के  लालच  में आस्था से खिलवाड़, क्या है सच

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 20 सितम्बर 2024 (07:30 IST)
आई वेंकेटेश्वर राव और कृष्णावेणी, वेबदुनिया

tirupati laddu row lab reports : तिरुमाला के वेंकटेश्वर स्वामी को कलियुग का देवता माना जाता है। तिरुमलेश के दर्शन के बाद लोग श्रीवारी लड्डू प्रसादम को ग्रहण करते हैं। श्रद्धालुओं की आस्था इससे जुड़ी है। तिरुपति में मिलने वाले लड्डू का स्वाद अद्‍भुत होता है। किसी अन्य लड्डू में ऐसा स्वाद नहीं होता है। लड्डू प्रसाद श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा है। कोई तिरुमाला के तिरुपति मंदिर जाता है तो उसे प्रसादम लाने के लिए जरूर कहा जाता है। तिरुपति के इस लड्डू के साथ अब एक नया विवाद सामने आया है,‍ जिसे श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ माना जा रहा है। लड्डुओं की मात्रा को बढ़ाने के लिए उसमें पशु चर्बी का उपयोग किया गया।
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पिछली सरकार पर लगा आरोप : वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को भी नहीं बख्शा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया। YSR सरकार ने लड्डू बनाने में घटिया घी, काजू, बादाम और अन्य सामग्री का इस्तेमाल किया। परिणामस्वरूप,  लड्डू प्रसादम की गुणवत्ता में कमी आई। कर्नाटक की नंदिनी कोऑपरेटिव डेयरी  सब्सिडी कीमत पर घी सप्लाई करती थी। नंदिनी कंपनी को पिछली सरकार ने  दरकिनार किया, क्योंकि उन्हें घी सप्लाई पर कमीशन मिलता था।
कमीशन की लालच में आस्था से खिलवाड़ : तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम को लड्डू बनाने के  लिए हर दिन 300 से 500 किलो घी की आवश्यकता होती है। इन कंपनियों ने 320 की कीमत पर घटिया घी सप्लाई किया। इसका असर लड्डुओं की गुणवत्ता पर हुआ। पूर्व ईओ धर्मा रेड्डी ने नियमों को ताक पर रख लालच में दूसरी कंपनियों से एग्रीमेंट किया। उन्होंने अपने करीबियों को इसका टेंडर दिया। एक किलो घी कीमत 400 से लेकर 1000 रुपए तक होती है। कुछ कंपनियां तो सिर्फ 320 रुपए की कीमत पर सामने आईं। इन कंपनियों की  बिना जांच किए एग्रीमेंट किए गए।
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जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच : लैब 8 जुलाई को TTD द्वारा उपयोग किए जाने वाले घी को गुणवत्ता जांच के लिए NDDB Cop Lab भेजा गया। लैब ISO 17025 से मान्यता प्राप्त है। लैब को डेयरी उत्पादों की टेस्टिंग का अच्छा रिकॉर्ड है। लैब को सरकारी और निजी कंपनियां घी और अन्य पदार्थों की जांच के लिए अपने प्रोडक्ट भेजती हैं। लैब की रिपोर्ट के आधार पर सरकारी संगठन काम करते हैं। NDDB Cop Lab  लैब ने लेटेस्ट टेक्नोलॉजी घी की गुणवत्ता की जांच की। इसकी रिपोर्ट इस महीने की 16 तारीख को आई।
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मिले पॉम ऑइल और चर्बी के सबूत : रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि टीटीडी द्वारा प्रयोग किए जा रहे घी में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, गेहूं, मक्का, कपास के बीज और मछली का तेल शामिल है। पाम ऑइल और जानवर की चर्बी का भी प्रयोग इसमें किया गया। लैब के रिपोर्ट में सामने S वैल्यू जितनी होनी चाहिए, उससे कम पाई गई। S  वैल्यू 95.68 से 104.32 होनी चाहिए, जो 20.32 थी। इससे जानवर की चर्बी मिली होने का तथ्य सामने आया।
 
टीटीडी ने कंपनी को किया था ब्लैकलिस्ट : पिछली सरकार ने मनमानी करते हुए घी की गुणवत्ता की जांचे बिना इसका उपयोग किया। आंध्रप्रदेश में एनडीए सरकार के आने  के बाद घी की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजी गई रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि इसमें विभिन्न प्रकार के तेल और वनस्पति से निकाला गया तेल था। 
यह दावा किया गया कि AR Foods तमिलनाडु द्वारा आपूर्ति किया गया तेल प्रयोगशाला  में भेजा गया था और इसमें वेजीटेबल ऑइल था। TTD ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया।

सुधार के लिए कमेटी का गठन : लड्डुओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए कमेटी का गठन किया गया। इसमें पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डेयरी विशेषज्ञ, NDRI, बैंगलोर डॉ. D. सुरेंद्रनाथ, हैदराबाद के डेयरी विशेषज्ञ विजयभास्कर रेड्डी, IIUM बैंगलोर प्रोफेसर B माधवन,  तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रोफेसर डॉ. स्वर्णलता शामिल थे।

क्या थीं समिति की सिफारिशें : समिति ने जांच के लिए कुछ सिफारिशें दीं। 1. इसमें कहा गया 120 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करें। 2. यदि परीक्षण किसी वैज्ञानिक  प्रयोगशाला में किया जाता है और स्कोर 7 से 9 
अंकों के रिकॉर्ड हो तो ध्यान देना आवश्यक है। 3. 800 किलोमीटर के दायरे में आने वाली डेयरियों से ही घी खरीदा जाए। 4. उन कंपनियां टेंडर के लायक समझा जाए जो गाय के गुणवत्ता वाले घी की उत्पादन और आपूर्ति करने की तकनीकी क्षमता रखती हों। 5. यह भी जानना जरूरी है कि कंपनियां दूध कहां से खरीद रही हैं। समय-समय पर फील्ड पर जाकर गुणवत्ता की जांच हो और रिपोर्ट भी दी जाए। 6. टेंडर देने वाली कंपनियां यदि कीमत कम रख रही हैं तो पूरे विवरण के साथ हफलनामा लिया जाना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रही हैं।
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कर्नाटक में कांग्रेस-बीजेपी में संग्राम : नंदिनी द्वारा घी की सप्लाई बंद करना कर्नाटक की कांग्रेस सरकार और विपक्षी भाजपा के बीच एक बड़ा मुद्दा बन गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के रहते ही तिरुपति को ठेका खत्म किया गया। कर्नाटका मिल्क फेडरेशन (KMF) ने स्पष्ट किया कि नंदिनी का घी की सप्लाई  टीटीडी ने इसलिए बंद करवाई क्योंकि यह महंगा था। 2 सप्ताह पहले ही मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नंदिनी घी से भरे ट्रक को हरी झंडी दिखाई। अब से नंदिनी पहले की तरह फिर से टीटीडी को घी की आपूर्ति कर रही है। Edited by : Sudhir Sharma

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