नई दिल्ली। इस वर्ष देशभर में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक झड़पों की कई घटनाएं हुई हैं। राष्ट्रीय राजधानी के तीस हजारी कोर्ट में 2 नवंबर को पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच हुई झड़प ने इलाहाबाद में मार्च 2015 में पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच हुई झड़पों की याद दिला दी।
पुलिस की गोली लगने से एक वकील की मौत के बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी। इस घटना में कई पुलिसकर्मी और वकील घायल हो गए थे और अनेक वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।
घटना की शुरुआत उस वक्त हुई जब एक आरोपी को अदालत में पेश करने के लिए ले जाया जा रहा था और उसने वहां से भागने का प्रयास किया। उसे रोकने के लिए एक पुलिसकर्मी ने गोली चलाई जो एक वकील को जा लगी। बाद में वकील की मौत हो गई थी। खबर फैलने पर वकीलों ने पथराव किया था।
फरवरी 2009 में भी देश ने पुलिसकर्मियों और वकीलों के एक वर्ग के बीच उस वक्त झड़प देखी जब पुलिसकर्मियों ने तत्कालीन जनता पार्टी प्रमुख सुब्रमण्यम स्वामी पर कथित तौर पर हमला करने वाले वकीलों को पकड़ने की कोशिश की थी। स्वामी 17 फरवरी 2009 में मद्रास उच्च न्यायालय में जब एक मामले की पैरवी कर रहे थे तब उन पर अंडे फेंके गए थे।
तीस हजारी अदालत उस वक्त भी सुर्खियों में आई थी जब पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने 1988 में प्रदर्शन कर रहे वकीलों पर लाठियां चलाने का आदेश दिया था।
बेदी उस वक्त दिल्ली पुलिस उपायुक्त थीं। ये वकील कथित तौर पर चोरी के मामले में एक वकील की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। इसके अलावा इस वर्ष जनवरी में उत्तरप्रदेश के बाराबंकी में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच भी झड़पें हुई थीं।