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त्रिपुरा निकाय चुनाव में हिंसा, TMC सुप्रीम कोर्ट की शरण में

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हमें फॉलो करें त्रिपुरा निकाय चुनाव में हिंसा, TMC सुप्रीम कोर्ट की शरण में
, शुक्रवार, 26 नवंबर 2021 (12:27 IST)
नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस ने त्रिपुरा में नगरपालिका चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा की अदालत की निगरानी वाली समिति से जांच कराने का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
 
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि चुनाव प्रक्रिया में मीडिया को निर्बाध पहुंच प्रदान करने के अदालत के बृहस्पतिवार के आदेश के बावजूद इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया। सिब्बल ने तृणमूल द्वारा दायर दो आवेदनों को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।
 
उन्होंने कहा कि वहां बिल्कुल अशांत माहौल था। उम्मीदवारों को भी मतदान नहीं करने दिया गया। हिंसक घटनाएं हुईं। यहां तक ​​कि मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन हुआ है।
 
सिब्बल ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की 2 बटालियन को मुहैया नहीं कराया गया। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को 2 कांस्टेबल भी उपलब्ध नहीं कराए गए। हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सबूत हैं। कृपया इन अर्जियों को अविलम्ब सूचीबद्ध करें। पीठ ने कहा कि शुक्रवार को अलग-अलग न्यायाधीशों की पीठ है।
 
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, 'देखते हैं कि क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश संविधान दिवस के अवसर पर आधिकारिक कार्यों में व्यस्त हैं। इस पर सिब्बल ने कहा कि कल शनिवार होने के बावजूद अदालत मामले की सुनवाई कर सकती है।
 
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड रजत सहगल ने कहा कि तृणमूल ने दो आवेदन दायर कर मतगणना स्थगित करने और हिंसक घटनाओं की अदालत की निगरानी वाली समिति से जांच कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि एक अन्य आवेदन में पार्टी ने इस मामले में राज्य चुनाव आयुक्त को जिम्मेदार ठहराने का अनुरोध किया है।
 
शीर्ष अदालत ने तृणमूल और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के आरोपों के बाद गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय को त्रिपुरा नगरपालिका चुनावों के दौरान मतदान केंद्रों की सुरक्षा के लिए सीएपीएफ की दो अतिरिक्त कंपनियां मुहैया कराने का निर्देश दिया था। दोनों पार्टियों ने आरोप लगाया है कि उनके समर्थकों को मतदान करने की अनुमति नहीं दी गई और कानून व्यवस्था का गंभीर उल्लंघन हुआ है।

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