Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

असम में उल्फा उग्रवाद का घटनाक्रम

हमें फॉलो करें असम में उल्फा उग्रवाद का घटनाक्रम
गुवाहाटी , शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023 (23:30 IST)
ULFA insurgency developments in Assam : यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट ने आज हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम की स्थापना के बाद से उससे संबंधित घटनाक्रम इस प्रकार है :
  • 7 अप्रैल, 1979 : असम के शिवसागर में ऐतिहासिक अहोम-कालीन ‘एम्फीथिएटर’ रंग घर में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का गठन हुआ।
  • जून, 1979 : सदस्यों ने संगठन के नाम, प्रतीक, ध्वज और संविधान पर चर्चा करने के लिए मोरन में बैठक की।
  • 1980 : कांग्रेस के राजनीतिज्ञों, राज्य के बाहर के व्यापारिक घरानों, चाय बागानों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, विशेषकर तेल और गैस क्षेत्र को निशाना बनाकर अपनी ताकत बढ़ानी शुरू की।
  • 1985-1990 : प्रफुल्ल कुमार महंत के नेतृत्व वाली असम गण परिषद (अगप) सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान असम में अशांति की स्थिति पैदा हो गई और उल्फा ने रूसी इंजीनियर सर्गेई को अगवा किए जाने सहित जबरन वसूली और हत्याओं की कई घटनाओं को अंजाम दिया।
  • 28 नवंबर, 1990 : उल्फा के खिलाफ सेना द्वारा ऑपरेशन ‘बजरंग’ शुरू किया गया। इस अभियान का नेतृत्व जीओसी 4 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह ने किया, जो बाद में असम के राज्यपाल बने।
  • 29 नवंबर, 1990 : महंत के नेतृत्व वाली अगप सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
  • नवंबर 1990 : असम को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया और सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) कानून लागू किया गया। उल्फा को अलगाववादी और गैर कानूनी संगठन घोषित किया गया।
  • 31 जनवरी, 1991 : ऑपरेशन ‘बजरंग’ बंद किया गया।
  • जनवरी, 1991 : तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने राज्यसभा को सूचित किया कि यदि उल्फा राजनीतिक वार्ता की इच्छा व्यक्त करता है तो केंद्र सरकार आवश्यक कदम उठाएगी। उल्फा ने जवाब दिया कि जब तक सैन्य अभियान और राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा, कोई बातचीत संभव नहीं है और असम की ‘संप्रभुता’ की उनकी मांग पर कोई समझौता नहीं होगा।
  • जून, 1991 : हितेश्वर सैकिया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सत्ता संभाली।
  • सितंबर, 1991 : उल्फा के खिलाफ ऑपरेशन ‘राइनो’ शुरू किया गया।
  • मार्च 1992 : उल्फा दो गुटों में विभाजित हो गया और एक वर्ग ने आत्मसमर्पण कर दिया और खुद को आत्मसमर्पित उल्फा (सल्फा) के रूप में संगठित किया।
  • 1996 : अगप सत्ता में लौटी और प्रफुल्ल कुमार महंत दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।
  • जनवरी 1997 : उल्फा के खिलाफ समन्वित रणनीति और संचालन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सेना, राज्य पुलिस और अर्धसैन्य बलों से युक्त एकीकृत कमान का गठन किया गया।
  • 1997-2000 : कथित तौर पर सल्फा द्वारा उल्फा उग्रवादियों के परिवार के सदस्यों की हत्याएं की गई।
  • 2001 : तरुण गोगोई के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी।
  • दिसंबर 2003 : पड़ोसी देश में उल्फा और अन्य पूर्वोत्तर उग्रवादियों के शिविरों को बंद करने के लिए रॉयल भूटान सेना द्वारा ‘ऑपरेशन ऑल क्लियर’ शुरू किया गया।
  • 2004 : उल्फा सरकार से बातचीत के लिए राजी हुआ।
  • सितंबर 2005 : उल्फा ने 11-सदस्‍यीय ‘पीपुल्स कंसल्टेटिव ग्रुप’ (पीसीजी) का गठन किया। प्रख्यात ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखिका इंदिरा (मामोनी) रायसोम गोस्वामी के नेतृत्व में केंद्र के साथ तीन दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई प्रगति नहीं हो पाई।
  • जून, 2008 : उल्फा की 28वीं बटालियन के नेताओं ने एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की।
  • दिसंबर, 2009 : अरबिंद राजखोवा सहित उल्फा के शीर्ष नेताओं को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया, भारत निर्वासित किया गया और गुवाहाटी की जेल में बंद कर दिया गया।
  • दिसंबर 2010 : जेल में बंद उल्फा नेता ने सरकार से बातचीत का आग्रह करने के लिए ‘सिटीजन फोरम’ बनाया, जिसमें बुद्धिजीवियों, लेखकों, पत्रकारों और पेशेवरों को शामिल किया गया।
  • 2011 : राजखोवा और जेल में बंद अन्य नेता रिहा। उल्फा 2 गुटों में विभाजित हो गया : राजखोवा के नेतृत्व वाला उल्फा (समर्थक वार्ता) और परेश बरुआ के नेतृत्व वाला उल्फा (स्वतंत्र)।
  • 2012 : उल्फा ने सरकार को 12 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।
  • 2015 : उल्फा महासचिव अनूप चेतिया को 1997 से 18 साल की सजा काटने के बाद बांग्लादेश की जेल से रिहा किया गया।
  • मई 2021 : भाजपा के हिमंत विश्व शर्मा असम के मुख्यमंत्री बने।
  • अप्रैल 2023 : केंद्र ने उल्फा (वार्ता समर्थक) गुट को प्रस्तावित समझौते का मसौदा भेजा।
  • अक्टूबर 2023 : अनूप चेतिया ने बताया कि मसौदा प्रस्तावों के संबंध में सुझाव केंद्र को भेजे गए।
  • 29 दिसंबर, 2023 : उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कर्नाटक में Corona के 173 नए मामले, 2 संक्रमितों की मौत