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2007 में गुजरात सरकार भरूच में इस कचरे को जलाने से कर चुकी है मना
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2011 में नागपुर के DRDO ने ठुकरा दिया था मप्र का कचरा जलाने का प्रस्ताव
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2012 में जर्मन की कंपनी GIZ यूनियन कार्बाइड कचरा जलाने को तैयार थी
भोपाल गैस त्रासदी से पैदा हुआ यूनियन कार्बाइड का घातक कचरा आखिरकार इंदौर से कुछ ही किमी की दूरी पर पीथमपुर में जलाया जाएगा। यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा गुरुवार को सुबह सवा 4 बजे पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी पहुंच गया है। अगर भोपाल यूनियन कार्बाइड त्रासदी की बात करें तो बता दें कि करीब 12 साल पहले यह कचरा जलाने से महाराष्ट्र और गुजरात जैस राज्य इनकार कर चुके हैं।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इतने सालों बाद इसे मध्यप्रदेश में वो भी देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के करीब क्यों जलाया जा रहा है। विशेषज्ञों की माने तो कचरे की राख और इसका धुआं आम लोगों के लिए घातक हो सकता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है भोपाल गैस त्रासदी के 4 दशक यानी 40 साल बाद भी इसकी वजह से लोग बीमार हो रहे हैं। उस त्रासदी में 5 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में यूनियन कार्बाइड कचरा जलाने से निकलने वाले रसायन और अन्य केमिकल आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक हो सकते हैं।
लागत बढ़कर 125 करोड़ हुई : बता दें कि 12 साल पहले जर्मनी की एक कंपनी भी इसे अपने यहां ले जाकर जलाने के लिए तैयार थी, लेकिन तब प्रदेश सरकार ने मना कर दिया था। उस वक्त इस कचरे के निपटान में 23 करोड़ रुपए खर्च होना थे। अब यह लागत बढ़कर 125 करोड़ हो गई है। अब इस जहरीले कचरे का निपटान इंदौर के पीथमपुर स्थित ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फैसिलिटी में होगा।
पीथमपुर पहुंचा घातक कचरा : भोपाल गैस त्रासदी से उत्पन्न हुआ यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा गुरुवार को सुबह सवा 4 बजे पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी पहुंच गया है। ये कचरा पीथमपुर में 12 सुरक्षित कंटेनरों की मदद से यहां लाया गया। कंटेनर और रामकी कंपनी की सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी संख्या में पीथमपुर में पुलिस बल तैनात किया गया है। सख्त निगरानी में कंटेनर पीथमपुर पहुंचे। यहां पहुंचने से पहले ही पुलिस ने पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। रामकी कंपनी परिसर के आसपास जबरदस्त बैरिकेटिंग की गई है। कंपनी से 1 km. दूर मीडिया को भी रोका गया है।
ग्रीन कॉरिडर बनाकर इंदौर होते हुए पीथमपुर भेजा कचरा : बता दें कि ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से 12 ट्रकों में यूनियन कार्बाइड का कचरा गुरुवार रात इंदौर भेजा गया है। यह पीथमपुर पहुंचा। वहां से एकत्र करने में करीब 100 लोग शामिल थे जिन्होंने 30 मिनट की शिफ्टों में कचरे को पैक किया और ट्रकों में लादा। इन कर्मियों की स्वास्थ्य जांच की गई और उन्हें हर 30 मिनट में आराम दिया गया।
जर्मनी तैयार था, लेकिन गुजरात- महाराष्ट्र ने किया मना, अब मध्यप्रदेश में क्यों?
अगर इस कचरे के निपटान के इतिहास को खंगाले तो सामने आता है कि साल 2012 में जर्मन की एक कंपनी GIZ यूनियन कार्बाइड कचरे को अपने ही देश जर्मनी में जलाने के लिए तैयार थी। इसके लिए करीब 23 करोड़ की लागत आना थी। लेकिन जानकारों के मुताबिक तब मध्यप्रदेश शासन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। इसके बाद महाराष्ट्र के नागपुर और गुजरात सरकार ने भी इसे अपने स्टेट में जलाने से मना कर दिया था। अब इसे मध्यप्रदेश में इंदौर के पास पीथमपुर में ही जलाया जाने का फैसला किया गया है। अब इस कचरे के निपटान में होने वाला खर्च भी बढकर 125 करोड़ रुपए हो गया है। ऐसे में सवाल है कि इतना धन खर्च कर के पीथमपुर समेत आसपास के इलाकों और इंदौर के इतने करीब इस घातक यूनियन कार्बाइड के कचरे को क्यों जलाया जा रहा है।
पहले फेल हो चुके हैं परीक्षण : बता दें कि पीथमपुर में स्थित जिस ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फैसिलिटी इस कचरे को जलाया जाएगा वहां के इन्सिनरेटर में पहले करीब 6 परीक्षण फेल हो चुके हैं। 2007 में गुजरात सरकार पे भरूच में स्थित इन्सिनरेटर में यह कचरा जलाने से मना कर दिया था। 2011 में नागपुर में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) इस कचरे को जलाने का प्रस्ताव ठुकरा चुका है।
यूनियन कार्बाइड क्यों है खतरनाक : दरअसल, पीथमपुर और इसके आसपास के इलाके पहले से ही औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां पहले से ही फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल की वजह से हवा, पानी और वातावरण प्रदूषित हो रहा है। ऐसे में यूनियन कार्बाइड का ये कचरा माहौल को और ज्यादा घातक बना देगा। पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक इससे बड़ी मात्रा में ऑर्गेनोक्लोरीन निकल सकता हैं, डाइऑक्सिन और फ्यूरान जैसे कार्सिनोजेनिक रसायन उत्पन्न हो सकते हैं, जो लोगों आम लोगों के साथ ही पर्यावरण के लिए बहुत घातक हो सकते हैं
पीथमपुर में विरोध : भोपाल से इंदौर होते हुए पीथमपुर शिफ्ट किए गए यूनियन कार्बाइड के कचरे के इस पूरे मामले के बीच पीथमपुर और आसपस के इलाकों में विरोध प्रदर्शन भी हुआ। स्थानीय निवासियों ने क्षेत्र में कचरे के निपटान का विरोध किया है, बता दें कि पीथमपुर की आबादी लगभग 1.75 लाख है। रविवार को इस योजना के खिलाफ एक बड़ा विरोध मार्च निकाला गया।
40 साल पहले 1984 में क्या हुआ था भोपाल : भोपाल गैस कांड मध्यप्रदेश के इतिहास में सबसे बडी त्रासदी मानी जाती है। भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से 2-3 दिसंबर 1984 की रात अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का लीकेज हुआ था, जिससे लगभग 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इस घटना के बाद से भोपाल में कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन कचरे का निपटान एक लंबी प्रक्रिया बन गई थी। इस हादसे से हाताल इतने भयावह हुए थे कि आज भी भोपाल में इस घटना सथल के आसपास रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। अब यूनियन कार्बाइड के कचरे को इंदौर के पास पीथमपुर में जलाने की तैयारी है।