वाराणसी। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने वाराणसी में राजभाषा सम्मेलन में कहा कि हमें स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेश और स्वभाषा पीछे छूट गए। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हिन्दी को सरल और लचीला बनाया जाए।
अमित शाह ने कहा कि राजभाषा के जानकारों से अनुरोध है कि हिंदी को लचीला बनाएं जिससे इसे सर्वग्राही बनाया जा सके। अब समय आ गया है कि हिंदी को सरल और लचीला बनाया जाए। उन्होंने कहा कि मोदी जी सरकार बनने के बाद अब शासन- प्रशासन का कामकाज हिंदी में होने लगा है। विद्वानों से अनुरोध है कि हिंदी के शब्दकोषों की सीमाओं को व्यापक बनाएं।
विधायी काम राजभाषा में करें : उन्होंने कहा कि आइए, हम तय करें कि अपना राजकाज, न्यायिक काम और अन्य सभी विधायी काम अपनी राजभाषा में करें। शाह ने आजादी के बाद देश पर पिछड़े होने का धब्बा लगने के पीछे अपनी मूल भाषा में शिक्षा-दीक्षा नहीं होने को मुख्य वजह बताते हुए कहा कि हमारा देश पिछड़ गया, उसका मूल कारण है कि हमने अपनी पढ़ाई अपनी मूल भाषा नहीं की। उन्होंने आह्वान किया कि आजादी के अमृत महोत्सव में हम पीछे छूटे इन लक्ष्यों को पूरा करें।
अपनी भाषा पर शर्म कैसी : शाह ने देश को आजादी मिलने के बाद भी राज भाषा सहित अन्य स्थानीय भाषाओं के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने को ऐतिहासिक भूल बताते हुए कहा कि अब वह समय चला गया है, जब अपनी मूल भाषा जानने वालों को शर्म का अहसास करना पड़ता था। उन्होंने कहा कि जो देश अपनी भाषाओं को भुला देता है वह देश अपना मौलिक चिंतन भी खो देता है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक मंचों पर अपनी बात अपनी राजभाषा में ही रखी।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद राजभाषा सम्मेलन को दिल्ली से बाहर ले जाने का जब फैसला किया तो यह सौभाग्य की बात है कि यह सम्मेलन अपने पहले पड़ाव के रूप में भाषाओं के 'गोमुख' कहे जाने वाले शहर वाराणसी में पहुंचा। उन्होंने कहा कि अपनी भाषाएं बचाने के लिए अगर हमने अपना काम नहीं किया तो काल अपना काम करेगा और हमारी भाषाएं काल के गाल में समा जाएंगी। इसलिए हमें आजादी के अमृत काल में अपनी भाषाएं बचाने का दायित्व पूरा करें।