Ayodhya : मकर संक्रांति पर अयोध्या जाएंगे कांग्रेस नेता, सोनिया-खरगे ने ठुकराया निमंत्रण, धार्मिक कार्यक्रम को बनाया पार्टी इवेंट
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का किया है बहिष्कार
100 कांग्रेसी जाएंगे अयोध्या
कांग्रेस का आरोप- बनाया राजनीतिक कार्यक्रम
नेता बोले- धर्म एक व्यक्तिगत मामला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण ठुकराए जाने के बावजूद उत्तरप्रदेश पार्टी अध्यक्ष अजय राय ने गुरुवार को कहा कि वे, कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे एवं अन्य नेताओं के साथ तय कार्यक्रम के अनुसार 15 जनवरी को 'मकर संक्रांति' पर अयोध्या जाएंगे।
राय ने बताया कि कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है, मेरे सहित राज्य के विभिन्न पार्टी नेता निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 15 जनवरी को अयोध्या जाएंगे।
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं- खरगे, सोनिया गांधी और चौधरी ने रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को बुधवार को सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया। पार्टी ने, साथ ही, भाजपा पर चुनावी लाभ के लिए इसे राजनीतिक कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि धर्म एक व्यक्तिगत मामला है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं द्वारा अर्द्धनिर्मित मंदिर के उद्घाटन के पीछे के मकसद पर सवाल उठाया था।
जब राय से पार्टी के शीर्ष नेताओं के 22 जनवरी के समारोह में हिस्सा न लेने संबंधी फैसले के बारे में पूछा गया तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा से संबंधित 22 जनवरी का समारोह अलग है, जबकि हम 'मकर संक्रांति' पर जा रहे हैं।
राय ने पहले ही घोषणा की थी कि राज्य प्रभारी अविनाश पांडे सहित उत्तरप्रदेश के लगभग 100 कांग्रेस पदाधिकारी 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर अयोध्या जाएंगे।
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पवित्र शहर (अयोध्या) की अपनी यात्रा के दौरान पार्टी नेता सरयू नदी में डुबकी लगाएंगे और फिर राम मंदिर एवं हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे।
राय ने रविवार को कहा था कि 15 जनवरी को मैं अयोध्या जा रहा हूं। हमारे महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे तथा वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी एवं पीएल पुनिया भी अयोध्या जाएंगे। लगभग 100 कांग्रेसी वहां जाएंगे।
राय ने बताया था कि 15 जनवरी को अयोध्या जाने का निर्णय लिया गया है। सुबह 9.13 बजे सूर्य 'उत्तरायण' हो जाएगा और सुबह 9.15 बजे हम नारियल फोड़ने की परंपरा का पालन करने के बाद 'जय सियाराम' का उद्घोष करते हुए अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे।
सिद्धारमैया ने बताया सही फैसला : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के कांग्रेस आलाकमान के फैसले का समर्थन करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि भाजपा ने एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम में बदल दिया है।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर धार्मिक कार्यक्रम को पार्टी कार्यक्रम में बदलने का आरोप लगाया, जिससे 140 करोड़ भारतीयों का अपमान हुआ।
उन्होंने राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के कथित बयान की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि राम मंदिर पर शैव और शाक्तों का कोई अधिकार नहीं है। सिद्धरमैया ने कहा कि चार शंकराचार्यों ने राजनीति के लिए राम मंदिर के दुरुपयोग के विरोध में मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बहिष्कार किया है।
सिद्धरमैया ने एक्स पर एक बयान में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, हमारी पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। उनका फैसला सही है। मैं इस फैसले का समर्थन करता हूं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संघ परिवार के नेताओं पर एक धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण करके भगवान राम और देश के 140 करोड़ लोगों का अपमान करने का भी आरोप लगाया।
सिद्धरमैया ने आरोप लगाया कि यह सभी हिंदुओं के साथ विश्वासघात है कि एक धार्मिक कार्यक्रम, जिसे भक्तिभाव से आयोजित किया जाना चाहिए था, उसे राजनीतिक प्रचार में बदल दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि कांग्रेस पार्टी राम जन्मभूमि विवाद शुरू होने के दिन से ही अपने रुख पर कायम है। राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि इससे विवाद खड़ा हो गया है। अगर यह सच है तो यह सभी शैव लोगों का अपमान है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में 10 साल पूरा करने जा रहे प्रधानमंत्री को मतदाताओं के सामने अपनी उपलब्धियां बताकर चुनाव जीतने का आत्मविश्वास नहीं है। सिद्धरमैया ने कहा कि इसी कारण से, लोकसभा चुनाव से पहले वह जल्दबाजी में राम मंदिर का उद्घाटन कर रहे हैं, जिसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से प्रधानमंत्री ने हिन्दुत्व लहर पैदा करने का प्रयास करके अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की जनता भाजपा और संघ परिवार की राजनीति को गंभीरता से देख रही है और कभी भी उनके जाल में नहीं फंसेगी। उन्होंने कहा, लोगों ने ईंट के नाम पर एकत्र किए गए दान का हिसाब मांगना शुरू कर दिया है।
कांग्रेस हिन्दू धर्म के खिलाफ नहीं है, यह उल्लेख करते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि उनकी पार्टी छुआछूत, जातिवाद, कट्टरता और धर्म के नाम पर भ्रष्टाचार के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, पार्टी राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल करने के भी पूरी तरह से खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि हमें हिंदू धर्म से कोई समस्या नहीं है, जिसका पालन महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, कनकदास, नारायण गुरु, कुवेम्पु सहित देश के कई गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया, लेकिन हम भाजपा और संघ परिवार के पाखंडी हिंदुत्व का विरोध करना जारी रखे हैं, जो राजनीतिक लाभ के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं। इनपुट भाषा