Google ने मंगलवार को जानी-मानी उर्दू लेखिका इस्मत चुगताई को डूडल बनाकर याद किया है। इस्मत चुगताई का आज 107वां जन्मदिन है और Google Doodle में उन्हें कुछ लिखते हुए दिखाया गया है।
गूगल ने अपनी ब्लॉग पोस्ट में डूडल के बारे में स्पष्ट करते हुए लिखा, 'उर्दू फिक्शन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाली आदरणीय इस्मत चुगताई का आज 107वां जन्मदिन है।' 1942 में उनकी शुरुआती विवादास्पद कहानियों में शामिल 'लिहाफ' ने उन्हें पहचान दिलाई। उन्हें महिलाओं की आवाज उठाने और समाज में उन्हें आगे उठाने के लिए जाना जाता है। उनके लेखों में 20वीं सदी की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों में छोटे घरों की लड़कियों की हालत, मनोदशा और वंशवाद के खिलाफ खुलकर लिखा।
दस भाई-बहनों में नौवीं संतान इस्मत चुगताई के दूसरे नंबर के भाई आज़िम बेग चुगताई उनके शिक्षक रहे। आज़िम बेग चुगताई भी लघुकथाएं लिखते थे। इस्मत ने कई फिल्मों की स्क्रिप्ट भी लिखी और उन्होंने जुगनू फिल्म में अभिनय किया था। सबसे पहली फिल्म 1943 में 'छेड़छाड़' आई और उनकी आखिरी फिल्म 'गर्म हवा' थी जो 1973 में रिलीज हुई। इस फिल्म ने खूब कामयाबी हासिल की और इस्मत चुगताई को कई अवॉर्ड्स भी मिले।
उनकी कहानियों में वास्तविकता का अहसास किया जा सकता है। उर्दू साहित्य जगत में उन्हें इस्मत आपा के नाम से जाना गया। 1976 में उन्हें भारत सरकार की तरफ से प्रतिष्ठित पद्मश्री अवॉर्ड मिला। उन्हें साहित्य अकादमी अवॉर्ड, नेहरू अवॉर्ड जैसे कई दूसरे अहम सम्मान भी मिले। 24 अक्टूबर, 1991 को उनका निधन हुआ। इस्मत चुगताई को महिलाओं के हक की आवाज उठाने और उनके मुद्दों को कहानियों के जरिए समाज के सामने रखने के लिए जाना जाता है।
इस्मत चुगताई की मुख्य कहानियों में छुई-मुई, चोटें, कलियां, एक बात, शैतान जैसी कृतियां शामिल हैं। उन्होंने जिद्दी, जंगली कबूतर, अजीब आदमी, मासूमा और टेढ़ी लकीर जैसे कई उपन्यास भी लिखे। इसके अलावा उनकी आत्मकथा 'कागजी है पैरहन' नाम से प्रकाशित हुई।