cyber crime news in hindi : साइबर सुरक्षा के लिए काम करने वाली लिसिएंथस टेक ने दावा किया कि भारत में कम से कम 20 प्रतिशत साइबर अपराधों को डार्क वेब का इस्तेमाल कर अंजाम दिया जा रहा है। डार्क वेब इंटरनेट पर एक ऐसा मंच है जिस तक विशेष उपकरणों का उपयोग कर पहुंचा जा सकता है। डार्क वेब का इस्तेमाल करने वालों की पहचान और स्थान का पता लगाना आमतौर पर बेहद मुश्किल होता है।
लिसिएंथस टेक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कम से कम 20 प्रतिशत साइबर अपराधों में ऑनलाइन हमलावरों ने डार्क वेब का इस्तेमाल किया। हमलावर अधिकतर डेटा सेंधमारी, हैकिंग, फिशिंग, रैनसमवेयर, पहचान की चोरी, मादक पदार्थों तथा हथियारों जैसे प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री व खरीद जैसे साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं।
गुरुग्राम स्थित लिसिएंथस टेक साइबर सुरक्षा ऑडिट तथा सुरक्षा आकलन का काम करती है। कंपनी के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) खुशहाल कौशिक ने कहा कि यह अध्ययन देश भर में दर्ज साइबर अपराध के कई मामलों के विस्तृत विश्लेषण पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन दो महीने की अवधि में बटौरी गई जानकारी पर आधारित है।
कौशिक ने बताया कि हाल ही में एक व्यक्ति को किराए के फ्लैट में गांजा उगाने और उसे डार्क वेब के जरिये बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वहीं पिछले साल दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पर रैनसमवेयर हमलों के लिए भी हमलावरों ने डार्क वेब का इस्तेमाल किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में डार्क वेब का इस्तेमाल दोगुना हो गया है। इसका शिकार होने से बचने के लिए उपयोगकर्ताओं को अपने फोन और अन्य उपकरणों पर ऐप तक पहुंच मांगने वाली किसी भी ऑनलाइन अधिसूचना को अनुमति नहीं देनी चाहिए। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta