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यूपी चुनाव से पहले 'अयोध्या' सुर्खियों में

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, मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016 (17:13 IST)
लखनऊ। विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दशहरे में 'जय श्री राम' का नारा बुलंद करने के साथ ही 'राम संग्रहालय' का निर्माण करवाने का निर्णय लेकर अयोध्या को एक बार फिर सुर्खियों में ला खड़ा किया है।
विपक्ष इसे मोदी की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा मान रहा है तो भाजपा का कहना है कि पार्टी ने मंदिर मुद्दे को कभी भी राजनीति से जोड़कर नहीं देखा। बसपा अध्यक्ष मायावती कहती हैं कि चुनाव के मौके पर भाजपा और सपा दोनों मिलकर अयोध्या मुद्दे को गरम करना चाहते हैं।
 
सुश्री मायावती का कहना है कि मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए सपा अध्यक्ष मुलायम यादव को हर चुनाव में 'बाबरी विध्वंस' की याद आती है तो दूसरी ओर उनके मुख्यमंत्री पुत्र हिन्दुओं में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए अयोध्या में थीमपार्क बनवाने जा रहे हैं।  
 
कांग्रेस नेता राजेन्द्र प्रताप सिंह भी सुश्री मायावती के विचारों से सहमत दिखे। सिंह ने कहा कि चुनाव के समय भाजपा को अयोध्या की याद आ ही जाती है। उनका कहना था कि भाजपा ने अपने शासनकाल में अयोध्या के विकास के लिए कोई काम नहीं किया, लेकिन राजनीतिक रूप से अयोध्या को भुनाने में सबसे आगे रहे।
 
सिंह ने कहा कि चुनाव के समय ही रामायण संग्रहालय बनवाने की याद क्यों आई। इसके आगे पीछे भी इस योजना पर काम किया जा सकता था, लेकिन भाजपा को तो न राम से मतलब है और न ही अयोध्या से। उसे तो राम के नाम पर केवल वोट लेना है।
 
उधर, भाजपा ने सुश्री मायावती और सिंह के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भाजपा ने अयोध्या और श्री राम को हमेशा से आस्था का विषय माना है। पार्टी ने इसे राजनीति या चुनाव से जोड़कर कभी नहीं देखा है। भाजपा के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए वे अनावाश्यक रूप से आरोप लगाते रहते हैं।
 
पाठक ने कहा कि दशहरे में आकर मोदी ने जयश्री राम का नारा लगाकर कौनसी गलती कर दी। रामलीला में राम का नारा नहीं लगेगा तो किसका लगेगा। विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। विपक्ष किसी न किसी बहाने मोदी को निशाना बनाना चाहता है। आलोचना व्यक्ति की नहीं नीतियों की होनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि मोदी की नीति देशहित में है इसलिए विपक्ष नीतियों को लेकर आलोचना नहीं कर पा रहा है और यही कारण है कि वह व्यक्तिगत आलोचना पर आमादा है। इन आरोप प्रत्यारोप के बीच अयोध्या में राम (रामायण) संग्रहालय बनाने की केन्द्र सरकार की योजना को अंजाम दया जाना शुरू कर दिया गया।
 
अयोध्या में संस्कृति मंत्रालय का राम संग्रहालय बनाने के अलावा केन्द्र की कुछ और योजनाएं हैं जो राम के नाम पर ही चल रही हैं। राम मंदिर निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय के फैसला आने के पहले मोदी सरकार रामायण संग्रहालय स्थापित कर देना चाहती है।
 
भाजपा नेता ने कहा कि संग्रहालय के लिए लगभग 25 एकड़ भूखंड की पहचान कर ली गई है। विवादित राम जन्मभूमि से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर है। स्थान का निरीक्षण मंगलवार को पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने किया।
 
केंद्र के संस्कृति मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को रामायण संग्रहालय के लिए प्रस्ताव पहले ही भेज दिया था। सूत्रों के अनुसार संग्रहालय बनाने के लिए 120 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। संस्कृति मंत्रालय संग्रहालय के लिए दी गई राशि को भी बढ़ाना चाहता है, जिससे प्राचीन शहर को सुंदर बनाया जा सके। सूत्रों के अनुसार संग्रहालय 2017 तक पूरा कर लिया जाएगा।
 
रामायण संग्रहालय को दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर बनाने की योजना है। संग्रहालय को बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया गया है, जिसमें केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महेश शर्मा, सांसद लल्लू सिंह और संघ के भी कई लोग शामिल हैं।
     
इसके अलावा अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन होने की भी उम्मीद जताई जा है। पिछले साल यह सम्मेलन मॉरिशस में हुआ था। इस बार यह अयोध्या या चित्रकूट में हो सकता है।
 
दो माह पूर्व केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा अयोध्या के दौरे के दौरान रामायण सर्किट जैसी महत्वकांक्षी योजना को धरातल पर लाने के लिए भगीरथ प्रयास शुरू हो चुके हैं। इस सर्किट के जरिये नेपाल, अयोध्या और श्री लंका समेत भगवान रामचन्द्र से जुडे अन्य स्थलों को जोडने की योजना है। (वार्ता)

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