लखनऊ। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने होंगे। दरअसल, कोर्ट ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास पर आजीवन आवास का कानून रद्द कर दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार का संशोधन सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद अखिलेश यादव समेत अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने होंगे।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं न्यायमूर्ति आर. भानुमति की पीठ ने गैर-सरकारी संगठन लोक प्रहरी की याचिका पर अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्थायी तौर पर सरकारी बंगला हासिल करने के हकदार नहीं हैं।
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ते एवं अन्य प्रावधान) कानून की धारा 4 (3) को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि इस तरह के कानून भेदभावपूर्ण है। यह संविधान सम्मत नहीं हैं।
वर्तमान में रामनरेश यादव, नारायण दत्त तिवारी, वीर बहादुरसिंह, कल्याणसिंह, मायावती, मुलायमसिंह यादव, राजनाथसिंह और अखिलेश यादव के पास हजरतगंज के पॉश इलाके में कई-कई एकड़ में बने बड़े-बड़े सरकारी बंगले हैं।
शीर्ष अदालत ने अगस्त 2016 में एक फैसला सुनाया था, जिसमें उसने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगलों का आवंटन अनुचित है और ऐसे बंगले सरकार को लौटा दिये जाने चाहिए, लेकिन तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार सरकार ने कानून में संशोधन करके पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए स्थायी तौर पर सरकारी बंगले के प्रावधान कि थे।