उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में धराली गांव में मंगलवार को बादल फटने के कारण खीर गंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ में 4 लोगों की मौत हो गई और 130 से अधिक लोगों को बचा लिया गया। उत्तराखंड सरकार ने बताया कि राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) तथा सेना सहित अन्य राहत एजेंसियों ने मिलकर घटनास्थल से 130 से अधिक लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। उत्तरकाशी में 3 अधिकारियों की तैनाती की गई है।
इससे पहले घटनास्थल के लिए जाते समय उत्तरकाशी के कलेक्टर प्रशांत आर्य ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार घटना में चार लोगों की मृत्यु हुई है। बाढ़ में लापता हुए लोगों की संख्या के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि यह संख्या 50 से अधिक हो सकती है क्योंकि बाढ़ के पानी के तेज बहाव के कारण लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका ही नहीं मिला।
अधिकारियों ने बताया कि धराली में आई बाढ़ में कई मकान और होटल तबाह हो गए। धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है। उन्होंने बताया कि दोपहर बाद करीब पौने दो बजे हुई इस घटना में कम से कम आधा धराली गांव मलबे और कीचड़ में दब गया। बाढ़ के पानी और मलबे के तेज बहाव में तीन-चार मंजिला मकानों सहित आस-पास की इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं।
अधिकारियों के अनुसार, खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से यह विनाशकारी बाढ़ आई। बाढ़ से केवल धराली ही नहीं प्रभावित हुआ। राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि तेज गति से आया सैलाब एक ही पहाड़ी की दो अलग-अलग दिशाओं में बहा-एक धराली की ओर दूसरा सुक्की गांव की ओर।
बारिश बनी राहत और बचाव कार्यों में बाधा
इस बीच, शाम तक जारी बारिश के कारण राहत एवं बचाव कार्यों में बाधा आई। इसके अलावा, राज्यभर में भूस्खलन के कारण सड़कों के अवरुद्ध होने से भी राहत कार्य में अड़चनें आईं और बचावकर्मियों को आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचने में कठिनाई हुई।
सुमन ने बताया कि हर्षिल में मौजूद सेना की एक टीम तत्काल मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया लेकिन खराब मौसम और सड़कों के कारण अन्य स्थानों से आने वाली टीम को पहुंचने में काफी मुश्किलें आईं। बुधवार को भी मौसम से ज्यादा राहत मिलने की संभावना नहीं है। मौसम विभाग ने नैनीताल, चंपावत, उधम सिंह नगर, बागेश्वर, पौड़ी, टिहरी, हरिद्वार और देहरादून समेत सात जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
उत्तराखंड के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने बताया कि 40 से 50 इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर की सेवाएं भी नहीं ली जा सकीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि धराली बाजार का एक बड़ा हिस्सा आपदा में तबाह हो गया।
वीडियो हुए वायरल
बादल फटने से धराली में आई आपदा के एक वीडियो में लोगों को डर के मारे चीखते सुना जा सकता है जबकि एक अन्य वीडियो में एक आवाज सुनाई दे रही है, सब कुछ खत्म हो गया है। मुख्यमंत्री धामी अपना आंध्रप्रदेश का दौरा बीच में ही छोड़कर देहरादून लौट आए और अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा लिया।
क्या बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
धामी ने धराली में हुए भारी नुकसान पर दुख जताया और कहा कि प्रभावित परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी । उन्होंने बताया कि बताया कि राहत एवं बचाव कार्यों में सेना, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा जिला प्रशासन की टीम युद्धस्तर पर लगी हैं। धामी ने प्रभावितों को हवाई मार्ग से लाने तथा उनके लिए तत्काल भोजन, कपड़े और दवाइयां भिजवाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को वायु सेना के एमआई-17 का सहयोग लेने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों मेहरबान सिंह बिष्ट, अभिषेक रुहेला तथा गौरव कुमार को नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिए हैं जो उत्तरकाशी जाकर बचाव एवं राहत कार्यों की निगरानी करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में घायलों के लिए बिस्तर आरक्षित रखे गए हैं और एंबुलेंस धराली पहुंच गयी हैं।
पीएम मोदी ने जताया दु:ख
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि लोगों तक मदद पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। इसके साथ ही सभी पीड़ितों की कुशलता की कामना करता हूं। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी से बात कर मैंने हालात की जानकारी ली है। राज्य सरकार की निगरानी में राहत और बचाव की टीमें हरसंभव प्रयास में जुटी हैं। लोगों तक मदद पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
कीचड़ में दबे शवों की कुद्दों से पहचान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी धामी से बात की और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए सात बचाव दल भेजने का आदेश दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं और कीमती जानें बचाने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं। इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एडीआरएफ ने उत्तराखंड में बादल फटने की घटना में मारे गए लोगों का पता लगाने में मदद के लिए शव खोजी कुत्तों की अपनी पहली टीम तैनात करने का फैसला किया है। इन कुत्तों के एक जोड़े को दिल्ली से हवाई मार्ग से लाया जाएगा, जबकि राज्य के विभिन्न स्थानों से बल की तीन टीम घटनास्थल पर पहुंच गई हैं जिनमें प्रत्येक में 35 बचावकर्मी शामिल हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तरकाशी में मलबे और कीचड़ में दबे शवों को ढूंढ़ने के लिए खोजी कुत्तों को तैनात किया जा रहा है।
केदारनाथ और ऋषिगंगा आपदा की यादें हुईं ताजा
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में मंगलवार दोपहर बादल फटने से मची भीषण तबाही ने 2013 की केदारनाथ और 2021 की ऋषिगंगा आपदा की भयावह यादें ताजा कर दीं। केदारनाथ और ऋषिगंगा में आई बाढ़ की तरह ही धराली की खीरगंगा नदी में आया पानी और मलबे का विनाशकारी सैलाब कुछ क्षणों में ही बड़े-बड़े होटलों और मकानों को अपने साथ बहा ले गया और गंगोत्री धाम के रास्ते में स्थित खूबसूरत क्षेत्र पलक झपकते ही मलबे के ढेर के नीचे दब गया।
फोटो और वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर एक वीडियो में पानी की ऊंची लहरें उठती दिखाई दे रही हैं जिनकी चपेट में आकर मकान, होटल और अन्य इमारतें ढहती हुई दिख रही हैं। एक अन्य वीडियो में कुछ लोग तेजी से आ रहे पानी के बहाव से अपनी जान बचाने का प्रयास करते हुए दिख रहे हैं, लेकिन पानी की लहरें उन्हें अपनी चपेट में ले लेती हैं।
क्या बोले प्रत्यक्षदर्शी
धराली के पास स्थित प्रसिद्ध मुखबा गांव के लोग भी इस ह्रदयविदारक दृश्य को देखकर दहल गए। मुखबा गांव के रहने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी सुभाष चंद्र सेमवाल (60) ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा भयावह दृश्य कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा कि दोपहर बाद जब वह आराम करने जा रहे थे कि तभी उन्हें तीव्र गति से पानी और पत्थरों के बहने की आवाज सुनाई दी, जिसे सुनकर वह और उनके परिवार के अन्य सदस्य बाहर निकल आए।
सेमवाल ने कहा कि जब हमने खीरगंगा में भारी मात्रा में पानी बहकर नीचे की ओर आते देखा तो हम सब पहले तो घबरा गए, फिर हमने धराली बाजार में रहने वाले लोगों को सतर्क करने के लिए सीटियां बजायीं और चिल्ला-चिल्ला कर उन्हें वहां से भागने को कहा। सेमवाल ने कहा कि उन लोगों की आवाज सुनकर कई लोग होटल से निकलकर भागे भी लेकिन बाढ़ का वेग इतना तेज था कि देखते ही देखते वे सब उसमें समा गए और सब कुछ वहीं दफन हो गया।
एक अन्य वीडियो में लोग अपने रिश्तेदारों का कुशलक्षेम जानने के लिए उन्हें फोन करते दिख रहे हैं। वीडियो में एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुना गया, “सब कुछ खत्म हो गया।” आपदा की सूचना मिलते ही मौके पर सबसे पहले सेना पहुंची और तुरंत राहत व बचाव कार्यों में जुट गयी।
जानकारी के अनुसार, सेना का हर्षिल कैंप घटनास्थल से केवल चार किलोमीटर दूर है और इस कारण सेना के करीब 150 जवान केवल 10 मिनट में ही वहां पहुंच गए और 20 लोगों को बचा लिया। कई जगह सेना के जवानों ने रस्सी के सहारे लोगों को खींचकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। सेना द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो में हर जगह मलबा दिखाई दे रहा है। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को आपदाग्रस्त धराली से फिलहाल दूर रहने को कहा गया है।
एसडीआरएफ के सूत्रों ने बताया कि उनकी 50 जवानों की विशेषज्ञ टीम भी अपने आवश्यक उपकरणों जैसे विक्टिम लोकेटिंग कैमरा, थमैल इमेजिंग कैमरा, कटिंग टूल्स, रोटरी हैमर के साथ राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है । अधिकारियों के अनुसार, धराली के अलावा, हर्षिल में सेना के कैंप के पास एक और बादल फटने की घटना हुई है। हालांकि, उसमें हुए नुकसान के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma