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वैष्णो देवी के दरबार में फिर कुदरत का कहर

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सुरेश डुग्गर

जम्मू , बुधवार, 24 अगस्त 2016 (13:38 IST)
जम्मू। एक महीने में यह तीसरा मौका है जब माता वैष्णो देवी के तीर्थस्थल पर कुदरत ने अपना कहर बरपाया। बुधवार को गुफा के पास ही सीआरपीएफ के एक जवान की दर्दनाक मौत हो गई तथा कई श्रद्धालु गंभीर रूप से जख्मी हो गए। कई घायलों की दशा नाजुक बताई जा रही है।

अधिकारियों ने बताया कि माता वैष्णो देवी के भवन के पास बुधवार को भूस्खलन हो जाने से सीआरपीएफ के जवान की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हो गए। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बुधवार दोपहर अचानक भवन के गेट नंबर तीन के पास भूस्खलन हुआ। भूस्खलन की चपेट में आने से पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले सीआरपीएफ जवान हरविन्दरसिंह की मौत हो गई। सीआरपीएफ के आईजी ने जवान की मौत की पुष्टि की है।

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घटना की जानकारी मिलते ही श्राइन बोर्ड और सीआरपीएफ के अधिकारी मौके पर पहुंचे। मौके पर बचाव एवं राहत कार्य जारी है। हादसे में कई लोगों के घायल होने की भी खबर आ रही है।


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गौरतलब है कि बाणगंगा से लेकर भवन तक की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ के हाथों में है। अगस्त के महीने में वैष्णो देवी में तीसरी बार भूस्खलन हुआ है। इससे पहले 6 अगस्त को यात्रा मार्ग पर भूस्खलन हुआ था, जिसकी चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गई थी,
 
वहीं बारिश के वजह से श्राइन बोर्ड लगातार लोगों को यात्रा के दौरान पहाड़ों के पास न बैठने आदि की हिदायत  दे रहा है। बारिश होने पर और भी जगहों पर भूस्खलन होने की आशंका जताई जा रही है।
 
इस महीने में यह तीसरी बार है कि चट्‍टानें गिरने और भूस्खलन के कारण यह धार्मिक यात्रा खतरे की यात्रा बनती जा रही है। पहले 5 अगस्त को चार श्रद्धालु जख्मी हुए थे तो फिर उसके अगले दिन पांच श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। वैसे भी इस महीने के शुरू से ही वैष्णो देवी की यात्रा लगातार बारिश और खराब मौसम के कारण रुक-रुककर चल रही है। कई दिनों तक इसे रात के समय बंद भी रखा जा चुका है।
 
बढ़ती भूस्खलन की घटनाओं के कारण वैष्णो देवी की यात्रा पर आने वाले एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के सिरों पर भूस्खलन और गिरते पत्थरों के रूप में मौत लटक रही है। इसका खतरा कितना है पिछले कई सालों से सामने आ रहा है। यूं तो श्राइन बोर्ड ने एहतियात के तौर पर नए यात्रा मार्ग पर जगह-जगह इन गिरते पत्थरों से बचने की चेतावनी देने वाले साइन बोर्ड लगा रखे हैं तथा बचाव के लिए टीन के शेडों का निर्माण करवा रखा है परंतु गिरते पत्थरों को ये टीन के शेड नहीं रोक पा रहे, इसे श्राइन बोर्ड के अधिकारी जरूर मानते हैं। बरसात और बारिश के दिनों में यह खतरा और बढ़ जाता है तो भीड़ के दौरान ये टीन के शेड थोड़े से लोगों को ही शरण दे पाते हैं।

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