UCC News : विश्व हिन्दू परिषद ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि एक समान कानून 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लाएगा। विहिप ने समान नागरिक संहिता के विषय को नारी सम्मान से जोड़ते हुए सवाल किया कि जब आपराधिक कानून, संवाद कानून, कारोबार से जुड़े कानून एक समान हैं तब परिवार से जुड़े कानून अलग क्यों हों?
विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता बनाने पर बल दिया। इसका कुछ राजनीतिक दलों और मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं ने विरोध किया है। विश्व हिन्दू परिषद प्रधानमंत्री की बात से सहमत है।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी सरकारों को यह निर्देश दिया गया है कि वह एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करें। कुमार ने कहा, मुझे आश्चर्य है कि संविधान बनने के 73 साल बाद जो सांसद और विधायक संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ लेते हैं, वे इसका पालन नहीं कर सके।
आलोक कुमार ने कहा कि जब देश में आपराधिक कानून एक हैं, भारतीय संविदा कानून एक हैं, वाणिज्यिक कानून एक हैं, कारोबार से जुड़े कानून एक हैं, तब परिवार संबंधी कानून अलग अलग क्यों हैं?
उन्होंने कहा कि 1400 साल पुरानी स्थिति अलग थी और उस समय की परिस्थिति में बहु विवाह की प्रथा आई, वह तब की जरूरत हो सकती है। समय बदला है। नारी की गरिमा और समानता की बात सभी को स्वीकार करनी चाहिए। वह (नारी) पुरूष की सम्पत्ति नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया था कि दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? उन्होंने कहा था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है।
विपक्षी पार्टियों ने समान नागरिक संहिता से जुड़़ी टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए उनपर महंगाई एवं बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया। विपक्षी दलों ने सवाल किया था कि क्या यूसीसी के नाम पर देश के बहुलवाद और विविधता को छीन लिया जाएगा। (भाषा)