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विदेशी विश्वविद्यालयों को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया यह बड़ा बयान...

हमें फॉलो करें Jagdeep Dhankhar
, गुरुवार, 20 अप्रैल 2023 (20:36 IST)
  • सिविल सेवा दिवस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कार्यक्रम का किया उद्घाटन
  • उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विदेशी विश्वविद्यालयों को लेकर दिया बड़ा बयान
  • उपराष्ट्रपति ने कहा, राष्‍ट्रीय संप्रभुता और सांस्कृतिक अखंडता की रक्षा करे संसद
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि देश की सभ्यता के लोकाचार को ध्वस्त करने और विकास को रोकने के लिए भारत विरोधी विध्वंसक गतिविधियों के केंद्र के रूप में कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों सहित अन्य संगठनों द्वारा इस प्रकार के खतरे पैदा किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में तथाकथित अभिजात्य वर्ग के छिपे हुए एजेंडे में परेशान करने वाला दृष्टिकोण खतरनाक है और दुर्भाग्य से यह हमारे संवैधानिक संस्थान के कामकाज में परिलक्षित हो रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह संसद की जिम्मेदारी है कि वह आंतरिक या बाहरी किसी भी प्रकार के खतरे से भारत की राष्ट्रीय संप्रभुता और सांस्कृतिक अखंडता की रक्षा करे।

उन्होंने यहां 16वें सिविल सेवा दिवस के अवसर पर 2 दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा, अभूतपूर्व विकास और वैभव की राह पर अग्रसर हमारे लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि उसके पंख विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका सुचारू रूप से उर्ध्वगामी उड़ान यात्रा के लिए मिलकर काम करें। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये संवैधानिक संस्थाएं दूसरे के क्षेत्र में घुसपैठ करके सत्ता को हथियार बनाने का जोखिम नहीं उठा सकतीं। उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका अपने संबंधित क्षेत्र में काम करते हुए ही सबसे अच्छी सेवा करती हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारी सभ्यता के लोकाचार को ध्वस्त करने और हमारे विकास को रोकने के लिए भारत विरोधी विध्वंसक गतिविधियों के केंद्र के रूप में कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों सहित भीतरी और बाहरी संगठनों से खतरे पैदा किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इकलौती संसद कानून बनाने की प्रभारी है और इसे लागू करने में सक्षम है। धनखड़ ने कहा कि कानून बनाना संसद का विशेषाधिकार है, जो बड़े पैमाने पर लोगों की इच्छा का सबसे प्रामाणिक प्रतिबिंब है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारी संवैधानिक व्यवस्था के तहत न तो विधायिका और न ही न्यायपालिका शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर सकती हैं- सबसे अच्छा है कि यह राजनीतिक वर्ग के लिए छोड़ दिया जाए।

उन्होंने कहा, भारत विरोधी विमर्शों को बेअसर करने और सरकार तथा दूरदर्शी नेतृत्व की नीतियों के क्रियान्वयन को प्रभावी रूप से लोगों तक पहुंचाने की आपकी बुद्धि और क्षमता पर मुझे पूरा भरोसा है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए धनखड़ ने कहा कि भारत के अभूतपूर्व विकास और फलते-फूलते लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति शुतुरमुर्ग का रुख अपनाने वाले कुछ लोगों को पीड़ा होते देखना वास्तव में दर्दनाक है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, देश के भीतर और बाहर वे हमारे लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थानों को नीचा दिखाने, निंदा करने, कलंकित करने के दुस्साहस में लगे रहते हैं। यह चौंकाने वाला है कि जब आर्थिक विकास, नीति-निर्माण और क्रियान्वयन की बात आती है तो हममें से कुछ क्यों आनंदपूर्वक स्व-लक्ष्यों का सहारा लेते हैं। इस नुकसानदेह रुख का प्रतिकार करने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र और लोकतंत्र की जननी है तथा सभी स्तरों पर गांव, नगर पालिकाओं, राज्यों और केंद्र में यह सबसे कार्यात्मक और जीवंत है। उन्होंने कहा, किसी भी अन्य देश के संविधान में, आपको पंचायतों, नगर पालिकाओं के लिए प्रावधान नहीं मिलेगा। हमारे संविधान के नौवें भाग में यह है। इस तरह का पदानुक्रमित लोकतांत्रिक तंत्र दुनिया में कहीं और नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हमारा स्तर किसी के पास नहीं है...।

धनखड़ ने कहा कि नौकरशाह इसमें मार्गदर्शक के रूप में और साथ ही आर्थिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने और मौलिक कर्तव्यों के पालन के लिए उपयुक्त हैं। केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, कैबिनेट सचिव राजीव गाबा और प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव वी. श्रीनिवास ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

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