नई दिल्ली। विभिन्न बैंकों के 9 हजार करोड़ के कर्ज में उलझे हुए शराब कारोबारी विजय माल्या ने लंदन से पत्र लिखकर राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। बैंकों का करोड़ों रुपए डकारने का आरोप लगने के बाद माल्या लंदन चले गए थे। उन्होंने वहीं से राज्यसभा के चेयरमैन को इस्तीफा भेजा है। माल्या ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि हाल के घटनाक्रमों से यह बात सामने आई है कि मुझे निष्पक्ष सुनवाई या न्याय नहीं मिलेगा।
राज्यसभा की एथिक्स कमेटी को भी माल्या अपने इस्तीफे की जानकारी दे रहे हैं। 60 वर्षीय माल्या का राज्यसभा में यह दूसरा कार्यकाल है, जो 2 महीने से भी कम समय का बचा है यानी 30 जून 2016 को उनकी सदस्यता खत्म हो रही है।
राज्यसभा ने पिछले सोमवार को ही सख्ती दिखाते हुए माल्या की सदस्यता रद्द करने की तैयारी कर ली थी। इसके लिए उन्हें 1 सप्ताह का नोटिस भेजा गया था। राज्यसभा की एथिक्स कमेटी ने इस मामले में बैठक की थी। इसमें चेयरमैन करन सिंह ने कहा था कि माल्या की राज्यसभा से सदस्यता खारिज होनी चाहिए। उन्हें अपनी बात रखने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाएगा।
बैठक में सभी सांसदों की राय थी कि विजय माल्या को संसद से निष्कासित किया जाए और उनकी सदस्यता रद्द की जाए। कमेटी के अध्यक्ष करण सिंह ने माल्या को नोटिस भेजकर सात दिनों के अंदर जबाव मांगा था। एथिक्स कमेटी इस मामले में मंगलवार को बैठक करने वाली थी, लेकिन समय सीमा खत्म होने से ठीक पहले माल्या ने इस्तीफा भेज दिया।
विजय माल्या को देश में विभिन्न बैंकों की 9 हजार करोड़ की देनदारी चुकानी है। पिछले कुछ महीनों से वे लंदन में रह रहे हैं। वे 2 मार्च को लंदन भाग गए थे। माल्या का कहना है कि मुझे मजबूर होकर देश छोड़ना पड़ा है। मैं एक देशभक्त भारतीय हूं और हमेशा भारतीय झंडे को ऊंचा रखने में गर्व महसूस करता हूं। मेरा फिलहाल भारत में लौटने का कोई ईरादा नहीं है क्योंकि मेरे खिलाफ काफी चीख-पुकार चल रही है।
सनद रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी माल्या का नाम लिए बगैर कह चुके हैं कि जिसने भी बैंकों का पैसा लिया है, उसे चुकाना पड़ेगा। वह दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों न हो हम उसे वापस लाएंगे। भारत ने औपचारिक रूप से ब्रिटेन से विजय माल्या को प्रत्यर्पित करने का आग्रह किया है।