नई दिल्ली। दो सरकारी बैंकों विजया बैंक और देना बैंक का 1 अप्रैल से बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो जाएगा। इन दोनों बैंकों के विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। विलय के बाद विजया बैंक और देना बैंक की सभी शाखाएं सोमवार से बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखाओं के तौर पर काम करने लगेंगी।
रिजर्व बैंक ने शनिवार को एक बयान में कहा कि विजया बैंक और देना बैंक के उपभोक्ताओं को 1 अप्रैल से बैंक ऑफ बड़ौदा का उपभोक्ता माना जाएगा। केंद्र सरकार ने अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा को 5,042 करोड़ रुपए देने का पिछले सप्ताह निर्णय लिया था।
विलय की योजना के तहत विजया बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 शेयर मिलेंगे। देना बैंक के शेयरधारकों को उनके प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे।
विलय के बाद संयुक्त निकाय का कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपए का होगा। यह भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। इस विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या कम होकर 18 ही रह जाएगी।
देश के बैंकिंग क्षेत्र में 31 मार्च 2019 को समाप्त हो रहे इस वित्त वर्ष के दौरान कई अहम पहलें की गईं। विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय करने के साथ ही सरकारी क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक में सरकार की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को हस्तांतरित कर दिया गया।
वित्त सेवाओं के विभाग ने वर्ष के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में रिकॉर्ड 1.06 लाख करोड़ रुपए की पूंजी भी डाली। इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक, इलाहाबाद बैंक सहित 5 बैंक रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई निगरानी से बाहर निकल आए।
इस दौरान बैंकों की गैरनिष्पादित राशि (एनपीए) राशि में 2018-19 की अप्रैल-सितंबर तिमाही में 23,860 करोड़ रुपए की कमी आई। (भाषा)