Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जीएसटी से केंद्र-राज्य राजस्व बंटवारे में अराजकता होगी : मोइली

हमें फॉलो करें जीएसटी से केंद्र-राज्य राजस्व बंटवारे में अराजकता होगी : मोइली
नई दिल्ली , बुधवार, 29 मार्च 2017 (15:56 IST)
नई दिल्ली। विपक्ष ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक की कटु आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि इससे देश में कर ढांचा चरमरा जाएगा और केंद्र एवं राज्यों के बीच कर संग्रहण में अराजकता का दौर शुरू हो जाएगा। 
 
कांग्रेस के एम. वीरप्पा मोइली ने लोकसभा में जीएसटी और उससे संबंधित 4 विधेयकों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि मौजूदा जीएसटी विधेयक के माध्यम से 'एक राष्ट्र एक कर' की अवधारणा पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। इस विधेयक में इतनी दरें हैं कि कारोबारियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा और अगर अज्ञानतावश कोई चूक हो जाए तो उसे जेल जाना पड़ जाएगा। 
 
मोईली ने जीएसटी को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर भी प्रहार किए। उन्होंने कहा कि महज राजनीतिक कारणों से जीएसटी को 8 साल तक लटकाए रखा गया। इस प्रणाली को लेकर अध्ययन 2008-09 में आ गया था, तब से 7-8 साल तक इसे लटकाए रखा गया। इससे अंतत: जनता का ही नुकसान हुआ। लगभग हर साल करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए और कुल मिलाकर करीब 12 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 
 
उन्होंने इस प्रणाली के बारे में तैयारियों को लेकर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि इससे छोटे कारोबार को मुश्किलें आएंगी। उन्हें हर बार दस्तावेजों का पुलिंदा लेकर चलना होगा तथा इस विधेयक को लाने में देश की संघीय प्रणाली पर भी प्रहार हुआ है। विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र, पूर्वोत्तर के क्षेत्र आदि में कर छूट के बारे में अस्पष्टता बनी हुई है। उन्होंने कृषि क्षेत्र पर भी पिछले दरवाजे से कर के दायरे में लाए जाने का आरोप लगाते हुए इसका विरोध किया। 
 
मोइली ने कहा कि कर दरों के उच्च स्तर से स्थिति साफ नहीं है। 'एक राष्ट्र एक कर' की धारणा एक भ्रम है। बहुत अधिक दरों के साथ-साथ उपकरों, प्रभारों के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। यह विधेयक कोई बहुत बड़ा सुधार नहीं ला रहे हैं। इससे न तो राजस्व बढ़ने वाला है और न ही इससे देश में कोई परिवर्तन आने वाला है। कराधान के ढांचे पर विपरीत असर पड़ेगा। अंतरराज्यीय मालवहन कर लगेगा जिससे दिक्कतें आएंगी। ज्यादा अग्रिम कर वसूले जाने पर स्वत: रिफंड की व्यवस्था नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि देश के समक्ष यह विधेयक एक कटु अनुभव लेकर आएगा। 
 
उन्होंने विधेयक के अनेक प्रावधानों को संविधान की मूल भावना के विपरीत बताते हुए कहा कि न्यायपालिका ऐसे तमाम प्रावधानों को खत्म कर देगी जिससे राज्यों की शक्तियां कम होती हैं और संघीय प्रणाली का हनन होता है। 
 
उन्होंने पेट्रोलियम एवं अल्कोहल पर जीएसटी के दायरे से रखे जाने के बारे में कहा कि 40 प्रतिशत राजस्व के क्षेत्रों को जीएसटी से अलग रखने से पड़ने वाले असर से कैसे निपटा जाएगा? उन्होंने केंद्र एवं राज्यों के बीच कर राजस्व के बंटवारे को लेकर भी विसंगतियों का आरोप लगाया।
 
उन्होंने कहा कि यह विधेयक कभी भी गेम चेंजर नहीं हो सकता। यह एक बहुत छोटा कदम है तथा प्रशासनिक जटिलताओं के कारण समस्याएं आएंगी। इससे महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। (वार्ता) 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राजबाड़ा पर उमड़ा जनसैलाब और मनाया नववर्ष