नई दिल्ली। कैबिनेट बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की कि सरकार 16 लाख से ज्यादा वीवीपीएटी मशीनें खरीदेगी। कैबिनेट ने 3,000 करोड़ रुपए नई ईवीएम मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय विपक्षी दलों द्वारा लगातार ईवीएम मशीन पर संदेह और भविष्य में होने वाले चुनावों में वीवीपीएटी मशीन के प्रयोग की मांग पर लिया गया है। चुनाव आयोग 2014 से अब तक 11 बार सरकार को वीवीपीटी मशीनों के लिए कह चुका था। विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद विरोधी पार्टियों ने ईवीएम में गड़बड़ी होने की बात कही थी। यह भी मांग की गई थी कि आगामी चुनावों में वीपीपीएटी का प्रयोग किया जाए। इसी के चलते इस मशीन का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है। आने वाले चुनावों में वीवीपीएटी एक नई पहल होगी। आइए जानते हैं कैसे काम करती है वीवीपीएटी।
क्या है वीवीपीएटी : वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) एक तरह की मशीन होती है। इसे ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। इसका लाभ यह होता है कि जब कोई भी व्यक्ति ईवीएम का इस्तेमाल करते अपना वोट देता है तो इस मशीन में वह उस प्रत्याशी का नाम भी देख सकता है, जिसे उसने वोट दिया है।
वीवीपीएटी मशीन के तहत वोटर विजुअली सात सेकंड तक यह देख सकेगा कि उसने जो वोट किया है क्या वह मत उसके इच्छानुसार उसके प्रत्याशी को मिला है या नहीं। इस मशीन के जरिए मतदाता को प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह और नाम उसकी ओर से चुनी गई भाषा में दिखाई देगा।
वीवीपीएटी का प्रयोग चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल, झारखंड के साथ कुछ अन्य राज्यों में कर चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि वीवीपीएटी का आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है। वीवीपीएटी मशीन को ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। इससे मतदाता की जानकारी को प्रिंट करके मशीन में स्टोर कर लिया जाता है और विवाद की स्थिति में जानकारी को उपलब्ध कराकर समस्या को निपटा लिया जाता है।