मुंबई। गांवों में मजदूरी में वृद्धि की दर बढ़ती महंगाई की तुलना में कम है और सरकार को छोटे कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए नीतिगत समर्थन जारी रखना चाहिए। साख के बारे में सूचना देने वाली कंपनी क्रिफ हाई मार्क की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। इसमें कहा गया है कि गांवों में मजदूरी महंगाई के हिसाब से नहीं बढ़ रही है। इसीलिए नीतिगत स्तर पर हस्तक्षेप की जरूरत है।
इसमें कहा गया है कि महंगाई बढ़ने से गांवों में वास्तविक मजदूरी घटी है और मांग सुस्त हुई है। ऐसे में सरकार और नीति निर्माताओं के लिए जरूरी है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में समर्थन देना जारी रखें। रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष 2022 की पहली छमाही में ग्रामीण मुद्रास्फीति शहरों की महंगाई की तुलना में अधिक रही है। गांवों में खपत कम हुई है जबकि औसतन ग्रामीण बेरोजगारी घटी है।
वृहत आर्थिक सूचकांक, क्रेडिट ब्यूरो का आंकड़ा और ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों के सर्वे से मिली जानकारी के अनुसार गांवों में व्यापार विश्वास सूचकांक 2022 में 10 अंक बढ़कर 73.5 रहा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने महामारी से प्रभावित छोटे कारोबारियों और अन्य क्षेत्रों को राहत और कर्ज उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में विभिन्न उद्योगों में वृहत आर्थिक परिदृश्य सकारात्मक हुआ है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)