Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Water crisis: भारत इन देशों से सीख सकता है कैसे बचाए पानी

हमें फॉलो करें Water crisis: भारत इन देशों से सीख सकता है कैसे बचाए पानी
, सोमवार, 22 मार्च 2021 (12:24 IST)
गर्मि‍यों की शुरुआत हो चुकी है, ऐसे में जिस चीज की सबसे ज्‍यादा जरुरत होगी वो है पानी। साफ, स्‍वच्‍छ जल। भारत में जल संकट से हम सब वाकि‍फ हैं, ठीक तरीके से नहीं की जा रही वॉटर हार्वेस्‍ट‍िंग और वॉटर मैनेजमेंट की खामियों ने इसे और भी ज्‍यादा गहरा दिया है।

साल 2018 नीति आयोग ने समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (CWMI) की रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं।

पेयजल के अलावा दूसरी जरूरतों के लिए भी घमासान मचा हुआ है। गर्मियों के आने के साथ ये जलसंकट और गहरा रहा है। इस बीच जानते हैं कुछ ऐसे देशों के बारे में, जो पानी के संकट को दूर करने के लिए बेहतरीन तरीके से वाटर हार्वेस्टिंग कर रहे हैं। पानी बचाने के मामले में भारत इन देशों से काफी कुछ सीख सकता है।

करीब दो लाख लोग स्वच्छ पानी न मिलने के चलते हर साल जान गंवा देते हैं। ये डाटा साल 2018 के जून में जारी हुआ था। अब जाहिर है कि कोरोना के दौरान हालात खास नहीं सुधरे हैं, लिहाजा इस आंकड़े में इजाफा ही हुआ होगा।

रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि साल 2030 तक हालात और बिगड़ सकते हैं, जिसका सीधा असर देश की GDP पर होगा। साल 2009 में यूएन ने अपने यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को ज्यादा से ज्यादा पॉपुलर करने पर जोर दिया था। वर्षा जल संचयन में ब्राजील, चीन न्यूजीलैंड और थाइलैंड सबसे अच्छा काम कर रहे हैं।

जर्मनी में 1980 से ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर काम हो रहा है। सिंगापुर ने नहरों और नालों को जोड़कर बाढ़ से बचने का बेहतरीन काम किया है। इससे सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी मिल जाता है।

चीन में पूरी दुनिया की 22 फीसदी आबादी निवास करती है, लेकिन फ्रेश वाटर के यहां सिर्फ 7 फीसदी रिसोर्सेज हैं। आबादी बढ़ने के बाद पानी की समस्या और बढ़ी है। चीन ने इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग का बेहतर इस्तेमाल किया है।

1990 से ही यहां इस तकनीक पर काम हो रहा है। 1995 में जब यहां सूखा पड़ा तो सरकार ने 121 नाम से एक प्रोजेक्ट चलाया। जिसके तहत हर एक परिवार को बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए कम से कम 2 कंटेनर रखने होंगे. ये प्रोजेक्ट काफी सफल रहा।

सिंगापुर छोटा, लेकिन घनी आबादी वाला देश है। यहां प्रदूषित पानी की बड़ी समस्या थी। पीने का साफ पानी मिलने में मुश्किल होती थी। 1977 में सिंगापुर ने सफाई का बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। सबसे ज्यादा प्रदूषित पानी की समस्या पर ध्यान दिया गया। इसी का नतीजा रही कि सिंगापुर नदी 1987 तक पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त हो गई। नदियों को साफ करने के बाद भी सिंगापुर साफ पानी की कमी की समस्या से जूझ रहा था।

सिंगापुर ने स्टॉर्मवाटर ऑप्टीमाइजेशन के जरिए समस्या का हल निकाला। इस तकनीक में बाढ़ के पानी को नहरों के जरिए कंट्रोल कर उसे इस्तेमाल लायक बनाया जाता है। नहरों के लंबे चौड़े नेटवर्क ने सिंगापुर की पानी की समस्या काफी हद तक सुलझा दी।

आस्ट्रेलिया के कई राज्यों में 2003 से लेकर 2012 तक भीषण सूखा पड़ा। आस्ट्रेलियाई राज्य विक्टोरिया में पानी का लेवल 20 फीसदी कम हो गया। सरकार ने इससे निपटने के लिए लोगों को वाटर को रिसाइकल करने और रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति जागरुक किया। जर्मनी की सरकार ने नेशनल रेन वाटर और ग्रे वाटर के नाम से प्रोजेक्ट चलाए। अब वहां जलसंकट कुछ हद तक कम हो चुका है।

ब्राजील के बड़े शहरों को सिर्फ 28 फीसदी काम लायक पानी मिल जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए ब्राजील ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर काम किया।

ब्राजील ने एक प्रोजेक्ट चलाया जिसमें टारगेट रखा गया कि दस लाख लोगों के घरों पर रुफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए पानी की समस्या को दूर किया जाएगा। इस तकनीक के जरिए बारिश के पानी को गर्मी के मौसम में इस्तेमाल के लिए जमा करके रखा जाता है। ब्राजील की सरकार इस तकनीक के लिए आर्थिक मदद भी मुहैया करवाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

एक लाख 89 हजार 819 लेटर्स का है यह शब्‍द, पढ़ते पढ़ते लग जाएंगे साढ़े तीन घंटे!