नई दिल्ली। दक्षिण पश्चिम मानसून देश में 3 जून को दस्तक दे चुका है। यह अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। अरब सागर के मध्य हिस्सों, पूरे तटीय कर्नाटक, गोआ, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, उत्तर सुदूर कर्नाटक के अधिकांश हिस्सों, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के कुछ इलाकों, तमिलनाडु के अधिकांश हिस्सों, मध्य बंगाल की खाड़ी के और इलाकों तथा पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों की ओर अग्रसर है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक अगले 24 घंटों के दौरान मानसून के मध्य अरब सागर के और इलाकों, महाराष्ट्र के और इलाकों, कर्नाटक के बाकी हिस्सों, आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना के कुछ और हिस्सों, तमिलनाडु के बाकी हिस्सों, मध्य एवं पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी तथा पूर्वोत्तर भारत की ओर आगे बढ़ने का अनुमान है।
निचले स्तर की दक्षिण-पश्चिमी हवाओं में मजबूती के कारण अगले 5 दिनों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापक बारिश होने का अनुमान है जबकि अरुणाचल प्रदेश में 5, 6 और 8 जून को, असम और मेघालय में पांच से 9 जून तक तथा नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में अलग-अलग स्थानों पर पांच से सात जून के बीच भारी बारिश हो सकती है।
दक्षिण महाराष्ट्र से दक्षिण केरल तट तक समुद्र तट पर हवा का कम दबाव होने और निचले क्षोभमंडल स्तरों में पश्चिमी हवा के मजबूत होने के कारण अगले 24 घंटों के दौरान केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में गरज, बिजली और तेज हवाओं के साथ व्यापक वर्षा होने के आसार हैं।
राष्ट्रीय मौसम ब्यूरो ने यह भी बताया कि एक चक्रवाती परिसंचरण के रूप में एक पश्चिमी विक्षोभ पंजाब और उससे सटे हरियाणा के ऊपर समुद्र तल से 3.1 किमी की ऊंचाई पर स्थित है, जिसकी धुरी के साथ 5.8 किमी की ऊंचाई पर कम दवाब का क्षेत्र बन रहा है। जो समुद्र तल से 72 डिग्री पूर्वी अक्षांश और 26 डिग्री उत्तरी देशांतर में स्थित था। इसके अलावा चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र हरियाणा और इससे सटे उत्तर पश्चिमी राजस्थान पर बना रहा है।
इसके प्रभाव से अगले 48 घंटों के दौरान पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के कुछ हिस्सों और उत्तर-पश्चिम भारत के आसपास के मैदानी इलाकों में आंधी, बिजली और तेज हवाओं के साथ अलग-अलग स्थानों पर बारिश होने के आसार हैं, साथ ही उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में आठ और 9 जून को 25-35 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।
कुछ दिनों पहले मौसम विभाग ने अनुमान जताया था कि मानसून के उत्तर तथा दक्षिण भारत में सामान्य रहने, मध्य भारत में सामान्य से अधिक रहने और पूर्व तथा पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम रहने का अनुमान है।