नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मानसून के राजस्थान, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़ एवं दिल्ली और पंजाब में आगे बढ़ने की गति धीमी रहेगी, क्योंकि उससे सम्बंधित स्थितियां अनुकूल नहीं हैं। हवाओें की स्थिति से पता लगता है कि इस अवधि के दौरान क्षेत्र में वर्षा के कोई संकेत नहीं हैं और वर्षा के लिए अनुकूल वातावरण भी नहीं बन रहा है।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) इस समय 26डिग्री उत्तरी अक्षांश/ 70 डिग्री पूर्वी देशांतर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, धौलपुर, अलीगढ़, मेरठ, अंबाला और अमृतसर से होकर गुज़र रही है।
उत्तरी पंजाब से हरियाणा, पश्चिम उत्तरप्रदेश, उत्तर झारखंड और गंगा-क्षेत्रीय पश्चिम बंगाल से होते हुए उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी तक निचले स्तर की हवाएं आपस में मिल रही हैं। दक्षिण-पश्चिम बिहार और पड़ोसी दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जो चक्रवाती हवाएं थीं, वे अब झारखंड और पड़ोसी इलाकों में समुद्री सतह से 5.8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तक चल रही हैं। उनका झुकाव दक्षिण-पश्चिम दिशा में है।
दक्षिण-पश्चिम बिहार और पड़ोसी दक्षिण-पूर्वी उत्तरप्रदेश से दक्षिण छत्तीसगढ़ के ऊपर चक्रवाती हवाओं से जो कम दबाव वाला वातावरण बना था, वह अब झारखंड से दक्षिणी तटीय आंध्रप्रदेश के अंदरूनी हिस्सों से होते हुए ओडिशा तक फैल गया है। यह समुद्री सतह से 1.5 किलोमीटर ऊपर स्थित है।
पूर्व-पश्चिम सम्बंधी कम दबाव वाला वातावरण झारखंड से उत्तर गुजरात, छत्तीसगढ़ और दक्षिण मध्य प्रदेश के ऊपर चक्रवाती हवाओं की वजह से मौजूद है। यह समुद्री सतह से 3.1 किमी ऊपर है। चक्रवाती हवाओं की स्थिति उत्तर-पश्चिम राजस्थान और पड़ोसी इलाकों के ऊपर मौजूद है और समुद्री सतह से 1.5 किमी तक उनका विस्तार है।
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ मध्य और ऊपरी सतह पर कम दबाव का वातावरण बना रहा है, जिसकी धुरी समुद्र सतह से 5.8 किमी ऊपर मौजूद है।(वार्ता)