नई दिल्ली। उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत में सोमवार को कड़ाके की ठंड का प्रकोप रहा और कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान 1 से 3 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया। मैदानी इलाकों में अगले 2 दिनों में और ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना है। आईएमडी के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभों के प्रभाव में 19 जनवरी से शीतलहर की स्थिति समाप्त हो जाएगी।
हिमालय से आने वाली सर्द उत्तर-पश्चिमी हवाओं के चलते मैदानी इलाकों में अगले 2 दिनों में और ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि 2 पश्चिमी विक्षोभों के प्रभाव में 19 जनवरी से शीतलहर की स्थिति समाप्त हो जाएगी, जो इस क्षेत्र में एक के बाद एक कम अंतराल पर प्रभावी होंगे।
जब एक पश्चिमी विक्षोभ (पश्चिम एशिया से गर्म नम हवाओं वाली एक मौसम प्रणाली) क्षेत्र में आती है, तो हवा की दिशा बदल जाती है। पहाड़ों से आने वाली सर्द उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलनी बंद हो जाती हैं जिससे तापमान में वृद्धि होती है।
आईएमडी ने एक बयान में कहा कि दिल्ली के कई हिस्सों और पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में शीतलहर से लेकर गंभीर शीतलहर की स्थिति बनी हुई है। इसमें कहा गया, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, उत्तर-पश्चिम और पूर्वी राजस्थान के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान एक से तीन डिग्री सेल्सियस की सीमा में है। राजस्थान के शेष हिस्सों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान तीन से पांच डिग्री सेल्सियस के बीच है।
राजस्थान के चूरू में न्यूनतम तापमान शून्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया जो सोमवार को मैदानी इलाकों में सबसे कम था। दिल्ली के लिए आधार सफदरजंग वेधशाला में न्यूनतम तापमान 1.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो एक जनवरी 2021 के बाद से साल के पहले महीने के लिए न्यूनतम है।
लोधी रोड स्थित मौसम केंद्र, जहां आईएमडी मुख्यालय स्थित है, ने न्यूनतम तापमान 1.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। दक्षिण पश्चिम दिल्ली के आयानगर में न्यूनतम तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस, मध्य दिल्ली के रिज इलाके में दो डिग्री सेल्सियस और पश्चिमी दिल्ली के जाफरपुर में यह 2.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
आईएमडी ने कहा कि 17 जनवरी तक उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान में लगभग दो डिग्री सेल्सियस की और गिरावट आने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि दो ताजा पश्चिमी विक्षोभों के प्रभाव में 18 जनवरी से 20 जनवरी तक न्यूनतम तापमान में धीरे-धीरे तीन से पांच डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।
कश्मीर में ज्यादातर जगहों पर न्यूनतम तापमान में गिरावट : कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में रात के तापमान में गिरावट दर्ज की गई क्योंकि क्षेत्र में मौसम शुष्क बना रहा।अधिकारियों ने बताया कि शुष्क मौसम के कारण रविवार रात घाटी के अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान में कमी आई।
उन्होंने बताया कि श्रीनगर में रविवार रात न्यूनतम तापमान शून्य से 1.9 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो पिछली रात शून्य से 0.6 डिग्री सेल्सियस नीचे था। घाटी के प्रवेश द्वार काजीगुंड में न्यूनतम तापमान में लगभग पांच डिग्री की गिरावट दर्ज की गई, जो शून्य से 5.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से 6.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि पिछली रात यह शून्य से 1.4 डिग्री सेल्सियस नीचे था। अधिकारियों ने बताया कि सीमांत जिले कुपवाड़ा में न्यूनतम तापमान शून्य से 2.9 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
अनंतनाग जिले के पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 10.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। पहलगाम वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए आधार शिविर के रूप में भी काम करता है। बारामूला जिले के प्रसिद्ध स्की-रिसॉर्ट गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान रविवार रात शून्य से 12 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जो इससे पिछली रात शून्य से 10.4 डिग्री सेल्सियस नीचे था। यह रिसॉर्ट जम्मू और कश्मीर में सबसे ठंडा दर्ज किया गया स्थान था।
मौसम विज्ञान कार्यालय ने कहा कि 18 जनवरी तक जम्मू-कश्मीर में मौसम मुख्य रूप से शुष्क रहेगा। उस समय तक रात के तापमान में और कमी आएगी। इसने कहा, कि कुछ पश्चिमी विक्षोभ के 19 से 25 जनवरी तक जम्मू-कश्मीर को प्रभावित करने की संभावना है।
19-21 जनवरी तक मौसम में बादल छाए रहेंगे और मुख्य रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में छिटपुट स्थानों पर हल्की बारिश/बर्फबारी की संभावना है। हालांकि इसने कहा कि 22 जनवरी की रात से 24 जनवरी की पूर्वाह्न तक बहुत तेज बारिश होगी और कश्मीर के मैदानी इलाकों में हल्के से मध्यम हिमपात (जम्मू में बारिश के साथ) और मध्यम तथा अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में मध्यम हिमपात होने की संभावना है।
कश्मीर वर्तमान में 'चिल्लई कलां' की चपेट में है। इस 40 दिनों की सबसे कठोर मौसम अवधि में बर्फबारी की संभावना अधिक होती है। चिल्लईकलां 21 दिसंबर से शुरू होता है और 30 जनवरी को समाप्त होता है। इसके बाद भी शीतलहर जारी रहती है और इसके बाद 20 दिन लंबा 'चिल्लई खुर्द' और 10 दिन लंबा 'चिल्लई बच्चा' चलता है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)