नई दिल्ली। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच चल रही खींचतान के बीच सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा कि दिल्ली का असली बॉस कौन है।
पिछले वर्ष 1 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केजरीवाल सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच इस पर फैसला सुनाएगी।
पिछले वर्ष 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली सरकार बनाम एलजी अधिकार विवाद में सिर्फ संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या की थी। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि कानून बनाना दिल्ली सरकार का अधिकार है। संविधान पीठ ने इस बात को सर्वसम्मति से माना था कि असली शक्ति मंत्रिमंडल के पास है और चुनी हुई सरकार से ही दिल्ली चलेगी।
कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि कानून व्यवस्था, पुलिस और ज़मीन को छोड़कर बाकी मामलों में उपराज्यपाल स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि उपराज्यपाल अनिल बैजल को स्वतंत्र फैसला लेने का अधिकार नहीं है और उन्हें मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह पर काम करना होगा।
उस समय सुप्रीम कोर्ट ने विवाद के कारण बने मामलों पर अलग से कोई फैसला नहीं दिया था। कहा था कि ऐसे मामलों पर 2 जजों की नियमित बेंच सुनवाई करेगी। अब इन्हीं मामलों पर आज फैसला आने की उम्मीद है।
केंद्र शासित प्रदेश और राजधानी होने के कारण दिल्ली में राज्य के अलावा केंद्र के भी कई अधिकारी मौजूद रहते है। इनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र और राज्य आमने-सामने रहते हैं।