What is sickle cell anemia: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश के शहडोल में शनिवार को राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन पोर्टल लॉन्च किया साथ ही सिकलसेल लाभार्थियों को सिकलसेल काउंसलिंग कार्ड भी वितरित किए। मोदी ने कहा कि हमारा संकल्प है कि 2047 तक देश सिकल सेल बीमारी से मुक्त होगा। इससे लड़ने में सबसे जरूरी है जांच कराना। क्योंकि कई बार मरीज़ों को लंबे समय तक पता नहीं चलता है कि वे इस बीमारी से जूझ रहे हैं।
दुनिया के 50 फीसदी मरीज भारत में : मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद जब मैं जापान की यात्रा पर गया था तब जापान के एक वैज्ञानिक से मिला था। वे सिकल सेल एनीमिया पर गहरा रिसर्च कर चुके थे। मैंने उनसे भी मदद मांगी थी। दरअसल, सिकल सेल एनीमिया बेहद कष्टदायक है।
इनके रोगियों के शरीर, सीने में असहनीय दर्द होता है। यह बीमारी न हवा से, न पानी, न भोजन से फैलती है, बल्कि यह माता-पिता से ही बच्चों में होती है। पूरी दुनिया में सिकल सेल एनीमिया के जितने मामले होते हैं, उनमें से 50% अकेले भारत में होते हैं।
क्या है सिकल सेल एनीमिया? : सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anaemia) खून की कमी से जुड़ी बीमारी है। यह ऐसी अनुवांशिंक बीमारी है, जिसमें ब्लड सेल्स या तो टूट जाते हैं या फिर उनका साइज और आकार बदलने लगता है। इससे खून की नसों में ब्लॉकेज हो जाता है। सिकल सेल एनीमिया होने से शरीर में खून की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति रेड ब्लड सेल्स मर भी जाते हैं।
इस बीमारी के शिकार आमतौर पर महिलाएं और बच्चे ही होते हैं। गत 60 वर्षों से यह बीमारी भारत में पनप रही है। बजट 2023 के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हेल्थ बजट में सिकल सेल एनीमिया को साल 2047 तक भारत से जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है।
पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार साल 2015 से 2016 के बीच 58.4% बच्चे और 53% महिलाएं इस बीमारी के शिकार हुए हैं। जनजातीय आबादी भी इस रोग से ज्यादा पीड़ित है।
बीमारी के लक्षण : सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति की हड्डियों में हर समय दर्द रहता है। हाथ और पैरों में दर्द के साथ सूजन भी आ जाती है। व्यक्ति के शरीर में खून नहीं बनता। खून की कमी के चलते उसे खून भी चढ़ाना पड़ता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की तिल्ली का आकार भी बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों की मानें तो इस बीमारी का पूरी तरह उपचार संभव नहीं है। इसे दवाइयों की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है। इसका स्टेम सेल या बोन मेरो ट्रांसप्लांट भी एक उपाय है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाती है। मौत का कारण संक्रमण, बार-बार दर्ज का उठना, चेस्ट सिंड्रोम और स्ट्रोक आदि है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala